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जेएलएनएमसीएच में आइसोलेशन वार्ड का उदघाटन

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड का उद्घाटन मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया. इसके पूर्व मंत्री ने वार्ड के बगल में बने शव गृह के बाहरी भाग का निरीक्षण किया. मंत्री ने लेर थियेटर के बारे में अधीक्षक से पूछा कि इसमें क्लास होता है या नहीं. डॉ […]

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड का उद्घाटन मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया. इसके पूर्व मंत्री ने वार्ड के बगल में बने शव गृह के बाहरी भाग का निरीक्षण किया.

मंत्री ने लेर थियेटर के बारे में अधीक्षक से पूछा कि इसमें क्लास होता है या नहीं. डॉ डीपी सिंह ने इस बारे में बताया कि अभी 50 सीट ही कॉलेज में है इसलिए हमलोग सेमिनार हॉल में ही पढ़ा लेते हैं. सौ सीट होने पर लेर थियेटर की आवश्यकता पड़ेगी. अधीक्षक ने बताया कि थियेटर का फर्श ठीक से नहीं बना है. उसे ठीक कराना होगा. इसके बाद आइसोलेशन वार्ड के बाहर एक पौधा लगा कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

वार्ड में एक मरीज जो बांका जिले के रजौन प्रखंड के हरचंडी गांव के मैट्रिक का छात्र अमित कुमार को चिकन पॉक्स होने पर भरती किया गया था. मंत्री ने उसके परिजनों से बात की एवं चिकित्सकों सेउसकी बीमारी के बारे में पूछा. वार्ड में कितने चिकित्सक हैं और किस नर्स की ड्यूटी लगायी गयी है इसकी भी मंत्री ने जानकारी ली. मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ केडी मंडल एवं डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि यह वार्ड शिशु एवं मेडिसिन विभाग के सहयोग से चलता है. इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष नभय कुमार चौधरी, अधीक्षक डॉ विनोद प्रसाद, प्राचार्य डॉ अजरुन कुमार सिंह, डॉ एमएन झा, मेट्रॉन चाइना मुखर्जी, संतोष तिवारी, सुरेंद्र कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

वार्ड में ये है सुविधा
इस वार्ड का निर्माण 24 लाख आठ हजार की राशि से किया गया है. इसे अगस्त 2012 में तैयार कर दिया गया था. दो माह पूर्व भवन को अस्पताल प्रबंधन को सौंपा गया था. वार्ड में 10 बेड लगाये गये हैं. वार्ड में संक्रमित मरीजों को रखा जायेगा. ऐसे मरीजों को अंधेरे में रखने का नियम है ताकि मरीज जल्दी स्वस्थ हो सके. स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि नर्स व चिकित्सक के लिए अभी रोस्टर तैयार नहीं किया गया है. रोस्टर बनाने के बाद ड्यूटी लगा दी जायेगी.

डायरिया मरीजों में वृद्धि
मौसम में बदलाव के कारण डायरिया, कय-दस्त के मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि आयी है. खास कर बच्चों को यह बीमारी जल्दी अटैक करता है. शिशु विभाग में फिलहाल 30 से 40 बच्चों का इलाज डायरिया एवं बुखार का किया जा रहा है. विभागाध्यक्ष डॉ सिन्हा ने बताया कि इस मौसम में बच्चों में अचानक सिर में दर्द, खांसी-सर्दी और तेज बुखार आ जाता है. ऐसा होने पर बच्चों को तुरंत ओआरएस का घोल देना चाहिए. बुखार आने पर पारासिटामोल की सीरप या गोली देनी चाहिए व तेज बुखार आने पर ताजा पानी से शरीर पोछ देना चाहिए. इससे मरीज को काफी आराम मिलता है व बुखार जल्दी उतर जाता है.

आइसीयू के शिशु विभाग में बड़े मरीजों को नहीं रखें आइसीयू के शिशु विभाग में बड़े मरीजों को नहीं रखें. विभागाध्यक्ष ने नर्स व अन्य कर्मियों को निर्देश दिया है कि वे शिशु वार्ड में शिशु को ही रखें दूसरे को नहीं.

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