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साहबों के नाक तले अवैध रिफिलिंग का कारोबार
भागलपुर: घनी आबादी में बेखौफ छोटे एलपीजी सिलिंडरों में अवैध रिफलिंग का कारोबार चल रहा है. बड़ी बात ये कि यह अवैध कारोबार जहां पर चल रहा है. वहां से चंद कदमाें की दूरी पर जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय से लेकर आवास हैं. फिर भी आपूर्ति विभाग के जिम्मेदारों को यह कारोबार नहीं […]
भागलपुर: घनी आबादी में बेखौफ छोटे एलपीजी सिलिंडरों में अवैध रिफलिंग का कारोबार चल रहा है. बड़ी बात ये कि यह अवैध कारोबार जहां पर चल रहा है. वहां से चंद कदमाें की दूरी पर जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय से लेकर आवास हैं. फिर भी आपूर्ति विभाग के जिम्मेदारों को यह कारोबार नहीं दिख रहा है.
इन क्षेत्रों में हो रहा है अवैध रिफिलिंग का कारोबार. आदमपुर, मनाली चौक से एसएम कॉलेज रोड, कचहरी चौक, छोटा खंजरपुर, बड़ा खंजरपुर, बरगाछ चौक, तिलकामांझी-हटिया रोड, सराय से कंपनी बाग रोड पर एक दो नहीं बल्कि दर्जनों स्थानों पर अवैध रिफिलिंग का कारोबार हो रहा है. सबसे बड़ी बात ये हैं कि इन सब ठिकानों के पास ही जिले के प्रशासन से लेकर न्यायिक क्षेत्र के पदाधिकारियों का आवास व कार्यालय है. ज्यादातर रिफिलिंग का कारोबार वहीं हो रहा है, जहां पर हॉस्टल ज्यादा है.
हर सप्ताह औसतन पहुंच रहे तीन-चार सिलिंडर से झुलसे मरीज. मायागंज हाॅस्पिटल के इमरजेंसी के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि एलपीजी सिलिंडर में लीकेज होने के कारण इससे लगने वाली आग के कारण पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है. इन हादसाें के पीछे छोटे एलपीजी सिलिंडर में नाॅब व वॉल्व की गड़बड़ी है. जानकारों की मानें तो पुराने बॉटल और रिफिलिंग के कारण लीकेज के कारण हादसों की संख्या बढ़ी है.
ऐसे होते हैं हादसे. रिफलिंग के चलते गैस सिलिंडर का नॉब ढीला हो जाता है. वॉल्व भी गड़बड़ हो जाता है. इसके चलते रेगुलेटर लगाने पर गैस लीक करने लगता है और हादसों का कारण बनता है.
कंपनियां भी जिम्मेदार. जानकारों के अनुसार, कई सिलिंडर आउटडेटेड हो जाते हैं. कंपनियों को बारिकी से निरीक्षण कर उन्हें समय पर बदलना होता है. इसका सख्त निर्देश भी है. व्यवहारन ऐसा नहीं होता है, जो हादसों का कारण ये भी बनता है.
कनेक्शन से लेकर छोटे सिलिंडर देने में आनाकानी करती हैं एजेंसियां. लोगाें अवैध रिफिलिंग के जरिये अगर पांच किलो का एलपीजी सिलिंडर को मजबूर हैं तो इसके पीछे गैस एजेंसियों की मनमानी भी बहुत हद तक जिम्मेदार है. छोटे सिलिंडर पर होने वाली बचत व ढुलाई भाड़ा अधिक लगने के कारण लोगों को डाॅक्यूमेंट के नाम पर छोटे सिलिंडर के कनेक्शन के लिए दौड़ाते हैं. यहां तक अपने एजेंसी पर छोटे साइज के सिलिंडर भी नहीं मंगाते हैं.
घनी आबादी के बीच हो रही खुला गैस की आपूर्ति का कारोबार. लाजपत पार्क के पास हर रोज तीन-चार गाड़ी एलपीजी सिलिंडर से भरी हुई आती है. यहीं से छोटे गाड़ियों पर लादने से लेकर उपभोक्ताओं को डिलेवरी आदि का काम निबटाया जाता है. शहर की घनी आबादी के बीच इसके किये जाने से यहां स्थित तीन विद्यालय, एक नर्सिंग होम व अधिकारियों के कार्यालय में रहने वाले लोग हर वक्त खतरे की जद में रहते हैं.
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