भागलपुर : वार्ड 12 अंतर्गत कबीरपुर समेत विभिन्न मोहल्ले के लोग आर्सेनिक समस्या को लेकर गंभीर हो गये हैं. पार्षद के नेतृत्व में एक सप्ताह में डीएम व नगर आयुक्त से आर्सेनिक से मुक्ति की मांग करेंगे. पार्षद नुजहत परवीन बताती हैं कि आर्सेनिक समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है. अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. यहां के लोगों में आर्सेनिक युक्त पानी पीने से होने वाली बीमारी से आक्रोश है. हाल के दिनों में यहां के लोगों में कमजोरी की समस्या बढ़ी है.
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आर्सेनिक समस्या को लेकर गंभीर हुए पीड़ित
भागलपुर : वार्ड 12 अंतर्गत कबीरपुर समेत विभिन्न मोहल्ले के लोग आर्सेनिक समस्या को लेकर गंभीर हो गये हैं. पार्षद के नेतृत्व में एक सप्ताह में डीएम व नगर आयुक्त से आर्सेनिक से मुक्ति की मांग करेंगे. पार्षद नुजहत परवीन बताती हैं कि आर्सेनिक समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है. अब तक […]
गंगा का पानी लाने पर होगी समस्या दूर : कबीरपुर के मो कमरुद्दीन का कहना है कि यदि यहां नगर निगम की ओर से गंगा के पानी को शुद्ध कर क्षेत्र में पहुंचाने की व्यवस्था होगी, तो समस्या दूर हो जायेगी. मो सरफराज व मो असलम का कहना है कि अधिकतर घरों में चापाकल है. चापाकल से खारा पानी आता है. आर्सेनिक युक्त पानी पीने से दांत के साथ-साथ पेट भी खराब रहता है. नासरीन का कहना है कि सभी लोगों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी. पार्षद को भी आगे बढ़ना चाहिए, यहां के लोग उनके साथ हैं.
पैन इंडिया पर होगी कार्रवाई : नगर आयुक्त
वार्ड 12 के कबीरपुर मोहल्ले में आर्सेनिक युक्त पानी निकलने का मामला गंभीर है. पानी की जांच पैन इंडिया एजेंसी द्वारा की जायेगी. अगर एजेंसी इसका जल्द समाधान नहीं निकालती है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
अवनीश कुमार सिंह, नगर आयुक्त
सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त, पैदावार पर असर
ध्वस्त व्यवस्था Â 58 में केवल आंशिक रूप से चालू है 25 आहर पइन के तहत डांड़, बांध, छिटका व अन्य योजनाओं से सिंचाई
नहरों के रखरखाव और इसका संचालन पिछले चार साल से नहीं हो सका है.
आवंटन के बिना खत्म हो रहा नहरों की बुनियाद
प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से चार साल पहले 27 नहर के सुदृढ़ीकरण के लिए भेजा गया 27.63 करोड़ के डीपीआर को अबतक नहीं मिली मंजूरी
हाल के सालों में नहरी सिंचाई व्यवस्था बिल्कुल ठप हो गयी है. यहां न नहरों के गाद की सफाई नियमित तौर पर होती है और न ही पानी आने और पानी के लाभ लेने की कोई तयशुदा व्यवस्था बची है.
इलाके की नहरों की सिंचाई प्रणाली ध्वस्त है. धनखेती का मौसम है और जिले के किसान बिचड़ा डाल चुके हैं और अब रोपनी की योजना बनाने लगे हैं. मगर, योजना बना कर भी किसानों को मन मार कर रह जाना उनकी मजबूरी है. चार साल पहले प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत 27 जगहों के नहर के सुदृढ़ीकरण के लिए लगभग 27.63 करोड़ रुपये का डीपीआर स्वीकृति के लिए भेजा था. इसको अबतक न मंजूरी मिल सकी है
और न ही इसका टेंडर हो सका. आवंटन नहीं मिलने से योजनाओं का कार्यान्वयन नहीं हो सका. मध्यम सिंचाई योजना के तहत 58 में केवल 25 आहर पइन (डांड़, बांध, छिटका व अन्य) योजनाएं आंशिक रूप से चालू है. इसके रखरखाव पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अगर यही हाल रहा, तो जिले में नहरों की सिंचाई प्रणाली ध्वस्त हो जायेगी. नहरों की बुनियाद खत्म हो जायेगी. फिलहाल सुदृढ़ीकरण के लिए लघु सिंचाई विभाग के पास कोई योजना नहीं है.
400 क्यूसेस नहरों में छोड़ा पानी, फ्लो नहीं रहने से खेतों तक पहुंचना हाेगा असंभव : किसान बिचड़ा डालने की योजना बनाने लगे हैं, जिसे देख सिंचाई विभाग ने बलियास वितरनी नहर में 400 क्यूसेस पानी छोड़ा है.
पानी का फ्लो कम होने से यह किसानों के खेतों तक पहुंचना असंभव होगा. यह नहर मुख्य तौर पर बांका जिले की है और इसका भागलपुर जिले में अंतिम छोर है. इस कारण हर साल पानी का फ्लो किसानों के खेतों तक नहीं पहुंचता है. इस बार संशय की स्थिति बनी है. बलियास वितरनी का पुनस्र्थापना का कार्य नहीं हो सका है. अगर किसान इस नहर पर आश्रित होकर खेती बारी करेंगे, तो यह घाटे का सौदा साबित होगा. विभिन्न परियोजना के तहत नहरों की लंबाई लगभग 36.67 किमी है.
आज सुबह नहरों में छोड़ा जायेगा एक हजार क्यूसेस पानी : शुक्रवार को सुबह नहरों में एक हजार क्यूसेस पानी छोड़ा जायेगा. सिंचाई विभाग के अधिकारी ने
बताया कि भागलपुर जिले में नहर का अंतिम छोर रहने पर भी इस बार पानी का फ्लो किसानों तक पहुंचने की उम्मीद है.
डैम में पानी पर्याप्त नहीं, 15 अक्तूबर तक छोड़ा जायेगा पानी
सिंचाई के लिए नहरों में 25 जुलाई से 25 अक्तूबर तक पानी छोड़ने का प्रावधान है, ताकि धनखेती में सिंचाई बाधक नहीं बन सके. इस बार डैम में पानी पर्याप्त नहीं है. इससे जैसे-जैसे पानी की उपलब्धता होती, वैसे-वैसे नहरों में पानी छोड़ा जायेगा. यह व्यवस्था 15 अक्तूबर तक के लिए ही रहेगी.
पानी के वितरण को लेकर सुव्यवस्थित प्रणाली का अभाव
सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सुव्यवस्थित प्रणाली का अभाव है. जहां स्लूइस गेट लगा है, उसका भी ठीक से संचालन नहीं हो रहा है. अधिकारी का कहना है कि डैम से चांदन नदी में और इसके बाद वियर तक पानी पहुंचाने के लिए नहर एक-दूसरे से कनेक्ट है. कैनाल के जरिये खेतों तक पानी पहुंचने की पूरी संभावना है.
सिंचाई के लिए नहरों में 400 क्यूसेस पानी छोड़ा गया है. शुक्रवार को एक हजार क्यूससे पानी छोड़ा जायेगा. डैम में पानी पर्याप्त नहीं है. इससे उपलब्धता के आधार पर पानी छोड़ा जायेगा. इस बार 15 अक्तूबर तक पानी छोड़ा जायेगा. कोशिश रहेगी कि नहर के अंतिम छोर तक पानी का फ्लो हो सके.
शकीर अंसारी, कार्यपालक अभियंता, सिंचाई विभाग, भागलपुर
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