आलू व दाल की महंगाई ने थाली का मेन्यू बदला
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आलू व दाल की महंगाई ने थाली का मेन्यू बदला भागलपुर : दो माह से लगातार आलू के भाव में हो रही बढ़ोतरी के कारण समोसा सा सुलभ नाश्ते आकार में छोटे होने लगे. युवाओं की मानें तो समोसा से आलू गायब होने लगे हैं. नाश्ता दुकानदारों की मानें तो आलू के भाव बढ़ने व […]
भागलपुर : दो माह से लगातार आलू के भाव में हो रही बढ़ोतरी के कारण समोसा सा सुलभ नाश्ते आकार में छोटे होने लगे. युवाओं की मानें तो समोसा से आलू गायब होने लगे हैं. नाश्ता दुकानदारों की मानें तो आलू के भाव बढ़ने व अन्य कच्चे चीजों में महंगाई होने से समोसा में आलू कम होना स्वाभाविक हैं. कभी दाल के भाव बढ़ने से थाली में पौष्टिक भोजन की कमी हो रही है, कभी समोसा के भाव बढ़ने से मध्यवर्गीय लोगों का नाश्ता महंगा हो रहा है.
आलू कारोबारी गुड्डू बताते हैं कि अभी आलू 1500 से 1700 क्विंटल में आलू भागलपुर आ रहे हैं. आगरा का अालू आना कम हो गया, जो सस्ता था. लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं टिकता और सड़ जाता. बंगाल के वर्धमान और मेमारी से 1700 रुपये क्विंटल में आलू आ रहे हैं. बंगाल का आलू हरेक वर्ष सस्ता रहता था, लेकिन इस बार वहां पर आलू की फसल कमजोर थी. खुदरा में 20 रुपये किलो तक बिक रहे हैं. आलू का भाव चढ़ने के बाद स्थिर होने से ग्राहकों पर महंगाई की मार है. चूंकि आलू जरूरी सब्जियों में एक है.
कई स्वादिष्ट व्यंजन नहीं बनेंगे. एक सप्ताह में ही चना 12 फीसदी तक महंगी हो गयी. 10 रुपये किलो तक बढ़कर 90 रुपये किलो पर पहुंच गया. इससे बरसात के दिनों में चना बेसन की बनी कचरी का मजा लेने लोग रह जायेंगे. दाल कारोबारी रोहित जैन बताते हैं जबतक सरकार 25 हजार टन से ज्यादा दालों का आयात नहीं करेगी, कीमतों में तेजी बनी रहेगी. सत्तू व बेसन के भाव चढ़ने से व्यंजन का मजा लेना मुश्किल हो जायेगा.
किराना कारोबारी विक्रम कानोडिया बताते हैं कि चना के भाव लगातार बढ़ने के साथ ही सत्तू व बेसन के भाव भी उसी तरह तेजी से बढ़ने लगे हैं. जिस बेसन का रेट पहले 90 रुपये किलो था, वही अब 110 में बिक रहे हैं. चना के सत्तू का भाव 120 से 130 रुपये तक पहुंच गया है, जो 80-90 रुपये किलो बिक रहे थे.
ऐसे में सामान्य लोगों को व्यंजन का मजा लेना मुश्किल हो जायेगा. आम लोग घर में कुछ नहीं होने पर बेसन की कचरी व अन्य व्यंजन तैयार कर लेते थे. साथ ही देशी हॉर्लिक्स कहलाने वाला चना का सत्तू आमलोगों की पहूंच से दूर हो जायेगा. साथ ही लिट्टी-चोखा, सत्तू रोटी आदि व्यंजन का मजा नहीं ले सकेंगे.
सितंबर तक होगी कीमतों में नरमी. पिछले साल के मुकाबले फसल की बुआइ 24 फीसदी कम है. दालों का रकबा 21 फीसदी घटकर 9.66 लाख हेक्टेयर आ गया है.
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