भागलपुर : शहर का अतिप्रतिष्ठित व ऐतिहासिक भगवान पुस्तकालय का दिन-ब-दिन क्षरण होता जा रहा है. महान साहित्यकार महावीर प्रसाद द्विवेदी और जनकवि बाबा नागार्जुन सरीखे विद्वान जहां अध्ययन के लिए आया करते थे, आज वहां का अस्तित्व संकट में दिख रहा है.
धन के अभाव के कारण यहां की दुर्लभ पुस्तकों को सुरक्षित करने का संसाधन नहीं रह गया है. पुस्तकों के आसपास कबूतर अपना आशियाना तक बना रहे हैं और गंदगी फैला रहे हैं. प्रबंध समिति पुस्तकालय को सुरक्षित रखने व पुस्तकालय की व्यवस्था को चलाने के लिए अहाता काे पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल करने को विवश है. तब भीड़ थी पाठकों की, अब कुछ लोग ही आते
रोजाना दुर्लभ पुस्तकों की जानकारी हासिल करने के लिए कभी यहां सैकड़ों आम लोग आते थे. यहां के पाठकों में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त बीसी सेन, जेटी ह्वीटी, पीडब्ल्यू मर्फी, जेएल मेरीमेन, मिडिलटोश, फोले आदि होते थे. इन पदाधिकारियों ने इस पुस्तकालय को सहायता भी दी. पदाधिकारियों को हिंदी सिखाने के लिए संस्थापक पुस्तकालयाध्यक्ष पंडित उग्रनारायण झा का विशेष योगदान था. अब न ही यहां कोई हिंदी सिखाने वाले लोग हैं और न ही इतने पाठक आते हैं.
प्रमंडलीय पुस्तकालय के कर्मचारियों को केवल मिलता है वेतन: 2008 में पुस्तकालय सूचना केंद्र निदेशालय बनने के बाद प्रमंडलीय भगवान पुस्तकालय के छह कर्मचारियों को वेतना मिलना शुरू हुआ, लेकिन इस पुस्तकालय के विकास के लिए कोई खास फंड नहीं मिल रहा. 2012-13 में केवल भवन विकास के लिए 25 लाख रुपये सरकार की ओर से मिले थे, जिससे भगवान पुस्तकालय के दूसरे तल को तैयार किया गया.
इस पैसे से पूरा भवन अब तक तैयार नहीं हो सका. एसएम कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रमन सिन्हा ने बताया कि बिहार निर्माण तक राज्य के पुस्तकालयों की सूची में भगवान पुस्तकालय का स्थान सातवां है.
103वां वर्ष पूरा करने को है भगवान पुस्तकालय: न्यास समिति सचिव प्रो आनंद कुमार झा उर्फ बल्लो ने बताया कि सात दिसंबर 1913 में ब्रिटिश शासनकाल के अवैतनिक मजिस्ट्रेट पंडित भगवान प्रसाद चौबे ने भगवान पुस्तकालय की स्थापना की, जो थाना बिहपुर के मिल्की परमेश्वरपुर गांव के निवासी थे. पुस्तकालय का उद्घाटन तत्कालीन कमिश्नर एचजे मेर्केटोश ने किया था.
जनकवि बाबा नागार्जुन का होता था ठहराव इस पुस्तकालय में अब तक बालकृष्ण भट्ट, शिव प्रसाद गुप्त, रामावतार शर्मा, श्याम सुन्दर दास, शुकदेव बिहारी मिश्र, गणेश बिहारी मिश्र, पुरुषोत्तम दास टंडन, डॉ राजेंद्र प्रसाद, नागेंद्र नाथ गुप्त, जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, विष्णुराव पराड़कर, महावीर प्रसाद द्विवेदी, गोपाल सिंह नेपाली, जनकवि बाबा नागार्जुन सरीखे साहित्यकारों के चरण पड़ चुके हैं.
जनकवि बाबा नागार्जुन जब भी भागलपुर आते, वे भगवान पुस्तकालय में ही ठहरते थे.
अर्थ स्रोत के लिए भगवान पुस्तकालय का परिसर बना है पार्किंग स्थल
दुर्लभ पुस्तकों को धूल से बचाने के लिए कम पड़ रहे है शीशे बंद अलमीरा व दराज
कबूतर बना रहे अपना आशियाना और फैला रहे गंदगी
डीएम देंगे रूट की अनुमति