पर शराबबंदी के बाद दोनों अस्पतालों में सिर्फ 16 शराबी ही भरती किये गये. ऐसा क्या हुआ कि जिले के शराबी गायब हो गये या उन्होंने रातोंरात नशे से तौबा कर ली. शराबियों के शांत होने का कारण शहर के कुछ इलाकों में कुछ ज्यादा पैसे खर्च करने पर शराब उपलब्ध होना तो नहीं. सूत्रों की मानें तो ऐसा ही कुछ हो रहा है शहर में. डेढ़ से दोगुनी कीमत पर शराब उपलब्ध कराये जाने की सूचना है.
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क्यों जायें नशामुक्ति केंद्र जब मिल रही शराब
भागलपुर : सूबे में देसी या विदेशी शराब पर पूरी तरह प्रतिबंधित है. शराबबंदी से पूर्व जिले में लगभग पंद्रह हजार नशेड़ियों की पहचान की गयी थी. शराबबंदी के बाद आशंका थी कि अस्पतालों में खुले नशामुक्ति केंद्र में भीड़ लग जायेगी. जेएलएनएमसीएच और सदर अस्पताल में इसके लिए खास व्यवस्था की गयी थी. पर […]
भागलपुर : सूबे में देसी या विदेशी शराब पर पूरी तरह प्रतिबंधित है. शराबबंदी से पूर्व जिले में लगभग पंद्रह हजार नशेड़ियों की पहचान की गयी थी. शराबबंदी के बाद आशंका थी कि अस्पतालों में खुले नशामुक्ति केंद्र में भीड़ लग जायेगी. जेएलएनएमसीएच और सदर अस्पताल में इसके लिए खास व्यवस्था की गयी थी.
सेल इन बिहार ऑनली के बोतल मिल रहे
सूत्रों की मानें तो शहर में पुरानी शराब दुकानों के आस-पास ज्यादा कीमत पर शराब उपलब्ध करायी जा रही है वह भी वैसी बोतलेंं जिसपर सेल इन बिहार ऑनली का स्टीकर लगा हुआ है. ऐसी सूचना है कि शहर के कई पुरानी शराब की दुकान में बचे स्टॉक को दोगुनी कीमत पर बेचा जा रहा है. लोगों को शराब उपलब्ध कराने वाले बिचौलियों का कमीशन भी इसमें तय होता है. बिचौलियों ने ग्राहक तय कर रखा है और इसकी सूचना बाहर तक न जाये इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. शराब बेचे जाने की सूचना संबंधित थाना को कैसे नहीं मिल रही यह सोचने वाली बात है.
गाड़ियों की स्टेपनी में लायी जा रही शराब
लोगों को शहर की पुरानी शराब दुकान के पास से शराब तो उपलब्ध होे ही रहा है, साथ ही झारखंड से भी शराब की बोतलें लायी जा रही हैं. देवघर और गोड्डा से लौटने वाली गाड़ियों की स्टेपनी में छिपा कर शराब की बोतलें लाये जाने की सूचना है. इससे साफ है कि शराबबंदी अभी भी गरीबों के लिए पूरी तरह से लागू हो चुका है पर जिनके पास पैसे हैं उन्हें नशामुक्ति केंद्र जाने की अभी भी जरूरत नहीं.
सदर में 11 और जेएलएनएमसीएच में सिर्फ पांच नशेड़ी भरती हुए
शराबबंदी के बाद शराबियों की शारीरिक और मानसिक स्थिति को संभालने और इलाज के लिए सदर और जेएलएनएमसीएच में नशामुक्ति केंद्र खोले गये. बेड की व्यवस्था की गयी. पर शराबबंदी के बाद सदर अस्पताल में कुल 43 लोग पहुंचे जिनमें सिर्फ 11 को ही भरती किया गया. जेएलएनएमसीएच के नशामुक्ति केंद्र में शराबबंदी के बाद सिर्फ पांच नशेड़ियों को भरती कर इलाज कराया गया.
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