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राजवर्धन ने आत्महत्या नहीं की, उसकी हत्या हुई थी

भागलपुर : तातारपुर थाना क्षेत्र के रामसर चौक स्थित सर्वोदय नगर गली में रहने वाले किराना व्यवसायी राजवर्धन उर्फ गुड्डू ने आत्महत्या नहीं की थी. उसकी गला दबा कर हत्या की गयी थी. राजवर्धन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्ट्रेंग्यूलेशन है जिसका मतलब गला घाेंट कर मारना है. 13 अप्रैल को राजवर्धन अपने […]

भागलपुर : तातारपुर थाना क्षेत्र के रामसर चौक स्थित सर्वोदय नगर गली में रहने वाले किराना व्यवसायी राजवर्धन उर्फ गुड्डू ने आत्महत्या नहीं की थी. उसकी गला दबा कर हत्या की गयी थी. राजवर्धन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्ट्रेंग्यूलेशन है जिसका मतलब गला घाेंट कर मारना है.
13 अप्रैल को राजवर्धन अपने घर में फंदे से लटका हुआ मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आने के बाद राजवर्धन की मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.
हत्या को आत्महत्या कह कर ऐसे काम करती है पुलिस
संदिग्ध परिस्थिति में किसी की मौत को आत्महत्या कह देना और यूडी केस दर्ज करना पुलिस के लिए सबसे आसान काम है. घर वाले सवाल न उठाएं तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आने के बाद भी मामले को दबा देना तो कोई पुलिस से सीखे. 31 जनवरी की रात बबरगंज थाना क्षेत्र के रौशनचक में अपने नाना के घर रजौन के मझगांय के रहने वाले केशव उर्फ कौशल की संदिग्ध परिस्थिति में शव मिला था. उसके हाथ की नस कटी थी और वह फंदे से लटक रहा था. उसकी मौत पर कई सवाल उठे थे. पर घर वालों ने पहले किसी पर सवाल नहीं उठाया तो केशव की मौत को पुलिस ने आत्महत्या करार दे दिया. तीन दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में केशव की मौत गला घोंटने से बताया गया. उसके बावजूद पुलिस चुप रही. प्रभात खबर में चार फरवरी को केशव की हत्या की खबर छपी. खबर छपने के बाद एसपी ने केशव की मौत का केस हत्या में तब्दील करने का आदेश दिया. केस तो हत्या में तब्दील हो गयी पर जांच में पुलिस एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी. मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
सबसे बड़ा सवाल, सुसाइड नोट किसने लिखा
राजवर्धन उर्फ गुड्डू की हत्या की बात सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर उसने आत्महत्या नहीं की तो उसके नाम से सुसाइड नोट किसने लिखा. अगर सुसाइड नोट राजवर्धन ने खुद लिखा तो उससे ऐसा किसने करवाया. क्या किसी ने उससे सुसाइड नोट लिखवाने के बाद उसकी हत्या कर दी. और अगर सुसाइड नोट राजवर्धन ने खुद नहीं लिखा तो वह किसने लिखा. राजवर्धन की राइटिंग उस सुसाइड नोट से क्यों नहीं मिलायी गयी. राजवर्धन के नाम से मिले सुसाइड नोट में लिखा था कि उसके आत्महत्या करने का कारण उसकी सास है. सुसाइड नोट में उसकी मौत के बाद संपत्ति में पत्नी और बच्चे का हक नहीं होने की बात लिखी हुई थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट को क्यों दबा रही पुलिस
राजवर्धन का पोस्टमार्टम रिपोर्ट लगभग एक सप्ताह पहले ही पुलिस को मिल चुका है पर तातारपुर इंस्पेक्टर से जब इस बारे में पूछा गया तो पहले उन्होंने कहा कि केस के आइओ को फुरसत नहीं मिलने की वजह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं लाया जा सका है. उसके बाद उन्होंने कहा कि राजवर्धन का पोस्टमार्टम रिपोर्ट थाना लाया गया कि नहीं यह वे नहीं बता सकते. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर राजवर्धन की हत्या हुई है तो उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट को क्यों छिपाया जा रहा. अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस तक पहुंच चुका है तो हत्या की बात सामने आने के बाद पुलिस ने क्या कार्रवाई की यह भी किसी को नहीं पता.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्ट्रैंग्यूलेशन आते ही केस हत्या में तब्दील कर दिया जायेगा. हत्या का केस दर्ज होने के बाद उस मामले में सही से जांच नहीं की गयी तो मैं उस फाइल को अागे बढ़ने ही नहीं दूंगा. जांच में कोताही बरदाश्त नहीं की जायेगी.
मनोज कुमार, एसएसपी

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