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शीघ्र खुलेगा लंबित आवेदनों का पिटारा

भागलपुर: जिन स्कूलों ने 30 नवंबर 2011 से पूर्व प्रस्वीकृति के लिए शिक्षा विभाग को आवेदन सौंपा था, उनके लंबित आवेदन पर विभाग दो साल के बाद संज्ञान लेने जा रहा है. जिले का शिक्षा विभाग अपने प्रधान सचिव के निर्देशों का गंभीरता से अनुपालन किया होता, तो अब तक जिले के सारे स्कूल प्रस्वीकृति […]

भागलपुर: जिन स्कूलों ने 30 नवंबर 2011 से पूर्व प्रस्वीकृति के लिए शिक्षा विभाग को आवेदन सौंपा था, उनके लंबित आवेदन पर विभाग दो साल के बाद संज्ञान लेने जा रहा है. जिले का शिक्षा विभाग अपने प्रधान सचिव के निर्देशों का गंभीरता से अनुपालन किया होता, तो अब तक जिले के सारे स्कूल प्रस्वीकृति प्राप्त कर गये होते. अभिभावकों को भी अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई संदेह नहीं होता और स्कूल भी स्थानांतरण प्रमाणपत्र जारी कर खुद गौरव महसूस करता.

जिन स्कूलों को प्रस्वीकृति मिल गयी है, उन्हीं स्कूलों का स्थानांतरण प्रमाणपत्र को सरकार मान्यता देती है. निजी विद्यालय प्रस्वीकृति समिति के सदस्य सचिव देवेंद्र कुमार झा ने बताया कि निर्णय लिया गया है कि शीघ्र ही समिति की बैठक कर लंबित आवेदनवाले जो स्कूल मानक पर खरा उतरेंगे, उन्हें प्रस्वीकृति दी जायेगी.

प्रस्वीकृति के लिए निजी स्कूलों को 30 नवंबर 2011 तक आवेदन करना था. सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय को कुल 313 आवेदन मिले. केवल नगर निगम क्षेत्र में 2500 से 3000 सड़कें हैं. मोटे अनुमान के तौर पर देखें और प्रत्येक चार सड़कों पर एक निजी स्कूल की गणना करें, तो भी नगर निगम में 750 निजी स्कूल हैं. ऐसे में पूरे जिले में संचालित निजी स्कूलों की संख्या का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. सर्व शिक्षा अभियान को प्रस्वीकृति के लिए नवगछिया से 26, कहलगांव से 35, नाथनगर से 29 व सबौर से 20 सहित शेष प्रखंडों से आधे से एक दर्जन निजी स्कूल से आवेदन प्राप्त हुए थे.

इतने कम आवेदन प्राप्त होने पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा के निर्देशों का कनीय पदाधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया. राज्य में संचालित निजी विद्यालयों की प्रस्वीकृति की अनिवार्यता के लिए प्रधान सचिव ने निर्देश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का अनुपालन करने के लिए बिहार सरकार बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 बनायी है. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. निर्देश में यह भी कहा गया था कि नियमावली का अनुपालन करने के लिए निजी स्कूलों का प्रस्वीकृत होना अनिवार्य है.

ऐसा नहीं होने पर स्कूलों को कानूनी रूप से अवैध माना जायेगा. निर्देश व नियमावली के अनुसार जिले में सैकड़ों स्कूल ( जिन्हें प्रस्वीकृति नहीं मिली है) अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं और विभाग उसे चुपचाप देख रहा है.

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