भागलपुर : जीरोमाइल से दोगच्छी के बीच कई हिस्से में मिट्टी भरने का काम चल रहा है, जिसमें कोढ़ा से अलीगंज के बीच भी एक हिस्सा है. इस हिस्से में गुरुवार दोपहर के बाद मिट्टी भरने का काम अचानक रुक गया. दूसरी ओर अन्य हिस्से में भी मिट्टी भरने का काम धीमी गति से हो रहा है.
जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड काे बाइपास के लिए पर्याप्त मिट्टी नहीं मिल रही है. वर्तमान में जितनी मिट्टी उपलब्ध हो रही है, उसमें से आधा बाइपास निर्माण और शेष मिट्टी का लेवल को ठीक करने में उपयोग किया जा रहा है. अगर जल्द मिट्टी उठाव के लिए जगह उपलब्ध नहीं करायी गयी, तो अन्य जगहों पर भी काम बंद हो सकता है. काम करवानेवाली एजेंसी ने मिट्टी की मांग को लेकर न केवल एनएच विभाग को लिखा है, बल्कि जिला प्रशासन से भी मदद मांगी है.
चाहिए भारी मात्रा में मिट्टी
बाइपास निर्माण निर्माण कार्य के शुरुआती दौर में ही बाधा आने लगी है. ओवरब्रिज, अंडर पास, क्रॉसिंग, रेलवे ओवर ब्रिज आदि का तो निर्माण बाकी है. 14 मीटर चौड़ी, 10 मीटर ऊंची और 16.73 किमी लंबी जगहों के लिए भारी मात्रा में मिट्टी की जरूरत है.
संसाधन है, मगर उपयोगिता नहीं के बराबर
जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट के पास बाइपास निर्माण के लिए संसाधन है, मगर इसकी उपयोगिता नहीं के बराबर हो रही है. संसाधन के तहत कार्य एजेंसी ने 63 हाइवा, छह कंबाइन और 20 जेसीबी मंगा रखी है, ताकि मिट्टी भरने के कार्य में इसका शत प्रतिशत उपयोग किया जा सके. मगर, मिट्टी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने से छह हाइवा और एक कंबाइन का ही सड़क निर्माण में उपयोग हो रहा है.
मिट्टी उठाव को लेकर दिये सुझाव
जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के जनता दरबार में गुरुवार को गोराडीह के खुटहा पंचायत के ग्रामीण आये और बाइपास निर्माण में मिट्टी की कमी को लेकर सुझाव दिया. ग्रामीणों ने बताया कि उनका पंचायत बाइपास से आधा किलोमीटर दूर है. इस पंचायत में 30 फीट चौड़ा और करीब दो किलोमीटर लंबा तालाब है, जो करीब-करीब भर चुका है. इसकी खुदाई कर मिट्टी की कमी पूरी हो सकती है. ग्रामीण राजू झा, रोशन कुमार, रीतेश कुमार, बमबम, प्रेम शंकर, महेंद्र मंडल, कमलेश कुमार, विजय झा आदि ने बताया कि तालाब की खुदाई होने से ग्रामीणों को भी फायदा होगा. किसानों को राहत मिलेगी और बरसात के समय में बाढ़ नहीं आयेगी. रबी सीजन के दौरान सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.
शहर में जलसंकट के आसार
गरमी अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई है और गंगा का पानी कम होता जा रहा है. बार-बार के प्रयास के बाद शहरवासियों को अभी तो पानी मिल पा रहा है, लेकिन जलापूर्ति करनेवाली कंपनी पैन इंडिया ने आशंका जतायी है कि मई तक शहर में जलसंकट के आसार हैं. इसको लेकर पैन इंडिया ने बुडको को अग्रिम सूचना भेज दी है और गंगा में पानी बढ़ाने की मांग की है.
गंगा में पानी कम होने से शहर की जलापूर्ति प्रभावित हो सकती है. पैन इंडिया का दावा है कि कि पैन इंडिया शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है. इसके लिए रोजाना 60 से 70 मजदूर गंगा व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लगे हुए हैं. पहले नौ एमएलडी पानी रोजाना उपलब्ध कराया जाता था, जो अब भी बरकरार रखा गया है. 20 दिन पहले गंगा का पाट सूख जाने से जलापूर्ति घट गयी थी. एक-दो दिन के प्रयास के बाद जलापूर्ति बहाल कर ली गयी. इसके विपरीत वाटर वर्क्स में काम करनेवाले कर्मियों की मानें तो पहले गड्ढा पानी से भरा रहता था, लेकिन अब 25 फीसदी तक कम ही गड्ढा भर पाता है.
सफाई कार्य जारी: वाटर टैंक में मछलियों के मरने की घटना के बाद पैन इंडिया चौकन्ना हो गया है. इसे लेकर लगातार सफाई कार्य जारी है. गुरुवार को 10 मजदूरों को सफाई के लिए लगाया गया था. सफाई कार्य में लगे मजदूरों ने बताया कि पहले गंगा से पानी लाने में मजदूरों को घटा दिया गया था. मछली मरने की घटना के बाद मजदूरों को बढ़ा दिया गया.
पैन इंडिया के प्रोजेक्टर डायरेक्टर प्रदीप झा ने बताया कि मछलियां मरने के बाद सैंपल की रिपोर्ट पटना से दो से तीन दिन बाद ही आ पायेगी, जबकि यहां पर जांच की रिपोर्ट शुक्रवार को मिलेगी. उन्होंने बताया कि गंगा का कच्चा पानी तो गंदा ही होता है, जो वाटर टैंक में जाता है. हो सकता है इसी कारण मछलियां मरी हो. इस पानी को साफ करने के बाद कोई दिक्कत नहीं है.