भागलपुर: भूमाफिया अब तक रजिस्ट्री कराने के बजाय स्टांप पेपर पर अनुबंध (कांट्रैक्ट) करके जमीन खरीद-बिक्री का अवैध धंधा कर रहे थे. अब इनके द्वारा भागलपुर के निगम क्षेत्र में जमीन दाखिल-खारिज में भी खेल हो रहा है. इस खेल में राजस्व का चूना लगाया जा रहा है.
निगम क्षेत्र में 40 फीसदी शहरी अपनी जमीन का अंचल के सरकारी रिकार्ड में नाम परिवर्तन नहीं कराया है. निगम के रिकार्ड में उनके मालिक का संपति कर का दाखिल-खारिज हो चुका है. इस दाखिल-खारिज प्रक्रिया से अंचल को लगान की वसूली नहीं हो रही है.
भूमाफिया का खेल
भूमाफिया जमीन रजिस्ट्री के बाद खरीदार को अधिक खर्च से बचाने के लिए अवैध तरीका अपनाते हैं. उनके द्वारा अंचल में जमीन दाखिल-खारिज के एवज में लगान देने से बचाने के लिए नगर निगम से संपत्ति कर के नाम परिवर्तन की कार्रवाई करने की सलाह देते हैं.
रोचक बात यह है कि निगम क्षेत्र में कई घर मालिक के पास अंचल से नाम परिवर्तन का दाखिल-खारिज रसीद नहीं है. बावजूद उनके पास निगम का संपत्ति कर का नाम परिवर्तन है.
प्रशासन को राजस्व का नुकसान
अंचल में जमीन दाखिल-खारिज की कार्रवाई नहीं होने का खामियाजा स्थानीय प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है. दाखिल-खारिज से लगान की वसूली होती है. लगान नहीं मिलने से राजस्व पर असर पड़ रहा है.
दो प्रकार के दाखिल-खारिज का मामला
निगम क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद मालिक को दो जगह से दाखिल-खारिज कराना होता है. इसमें एक दाखिल-खारिज निगम कार्यालय में और दूसरा अंचल में होता है. निगम में दाखिल-खारिज के तहत संपत्ति के मालिक का नाम निर्धारित करते हैं, जबकि अंचल में सरकारी रिकार्ड में मालिक का नाम परिवर्तन होता है. इसमें सबसे अहम अंचल के सरकारी रिकार्ड में कार्रवाई है.
अंचल को अपने स्तर से लगान वसूली अभियान को तेज करने के लिए कहा गया है. अगर अंचल में जमीन का दाखिल-खारिज नहीं किया जा रहा है, तो इस बारे में आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
हरिशंकर प्रसाद, एडीएम (राजस्व)