भागलपुर: कल्लर तांती की उम्र करीब 55 साल है. वह दिहाड़ी मजदूर में खटता है. कभी उसने स्कूल की घंटी नहीं सुनी, पर मजदूरी कर अपने दो बेटों को अंगरेजी स्कूल में पढ़ा रहा है. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. कल्लर के दोनों बेटे सिपिन और पांडव पहले राजकीय मध्य विद्यालय खूटाहा में पढ़ते थे. लेकिन दोनों बेटों की अच्छी तालिम की कल्लर ने सोची.
इस कारण दोनों का नाम अंगरेजी स्कूल श्रीराम कृष्ण विवेकानंद विद्यापीठ में करवाया था. सरकारी स्कूल में सिपिन और पांडव पांचवीं और छठी कक्षा में पढ़ रहे थे, लेकिन अंगरेजी स्कूल में दोनों का नामांकन यूकेजी और वन में हुआ. नये स्कूल में बड़ी मेहनत और लगन से दोनों भाई पढ़ रहे थे. नियमित रूप से स्कूल जाते थे.
घर से स्कूल दूर था, इस कारण दोनों को साइकिल भी दे दी गयी थी. लेकिन साइकिल और पढ़ाई ही पांडव की मौत का कारण बन गयी. कल्लर ने बताया कि वह अपने बेटे को अफसर बनाना चाहता था.