भागलपुर : इस गरमी में भी शहरवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा. शहर के छह जलमीनार में तीन जलमीनार सालों से बंद पड़े हैं. इन तीनों जलमीनार पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. जल पर्षद इन तीनों जलमीनार को सही किया था. बंद पड़े जलमीनार की जिम्मेवारी लेने को न तो नगर निगम तैयार है और न ही पैन इंडिया. नगर निगम का कहना है कि इसकी देखरेख की जिम्मेवारी पैन इंडिया की है. दूसरी ओर पैन इंडिया का कहना है कि तीन चालू जलमीनार ही एजेंसी के जिम्मे है.
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गरमी में पानी को तरसेंगे शहरवासी
भागलपुर : इस गरमी में भी शहरवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा. शहर के छह जलमीनार में तीन जलमीनार सालों से बंद पड़े हैं. इन तीनों जलमीनार पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. जल पर्षद इन तीनों जलमीनार को सही किया था. बंद पड़े जलमीनार की जिम्मेवारी लेने को न तो नगर […]
एजेंसी लिकेज पाइप को भी सही तरीके से ठीक नहीं कर रही है. जहां ठीक कराया, वहां से कुछ दिन बाद फिर सड़क पर पानी बहने लगता है. शहर के कई बोरिंग से बालू निकलने लगा है, लेकिन उसे सही नहीं कराया जा रहा है. वार्ड 45 के पार्षद सदानंद चौरसिया ने कहा कि सिकंदरपुर के नये जलमीनार को चौबे जी जब मंत्री थे उसी समय बनवाया था, लेकिन आज यह जलमीनार नहीं चल रहा है. अगर इन तीनों जलमीनार को ठीक नहीं किया गया, तो इस गरमी में पानी के लिए हाहाकार मचेगा.
गोशाला रोड. वार्ड 19 गोशाला रोड में दो साल पहले नया जलमीनार बना था. कुछ माह बाद जलमीनार बंद हो गया. इस जलमीनार को जोड़ने वाले पाइप कई जगह फट गये. इसे न ताे नगर निगम ने ठीक कराया न ही जल पर्षद ने.
सिकंदरपुर व सीटीएस. सिकंदरपुर और सीटीएस के पास बना जलमीनार बंद है. शहर के इशाकचक, माणिक सरकार चौक व घंटाघर का ही जलमीनार चल रहा है. सात माह पहले शहर की जलापूर्ति व्यवस्था के लिए नये पाइप लाइन व नये 19 जलमीनार बनाने जा रही कंपनी पैन इंडिया भी जलापूर्ति व्यवस्था सही नहीं कर पायी है.
हमारी जिम्मेवारी नहीं : एजेंसी. पैन इंडिया की पीआरओ रानी चौबे ने कहा कि शहर के इशाकचक, मानिक सरकार चौक और घंटाघर का जलमीनार काम कर रहा है. तीन जगह के बंद जलमीनार पर एजेंसी क्या करेगी.
एजेंसी को ही चालू करना है : निगम. निगम के जलकल अधीक्षक हरेराम चौधरी ने कहा कि तीनों बंद जलमीनार को पैन इंडिया एजेंसी को ही देखना है. शहर की जलापूर्ति व्यवस्था एजेंसी ही देख रही है.
ऐसे हो वसंत का स्वागत,तो क्या बात
निशि रंजनवसंत का आगमन हो चुका है. प्रकृति मुस्कुराने लगी है. सब कुछ सहज ही अच्छा लगने लगा है. सुबह की हवा में एक अलग ताजगी है. शाम में पूरी प्रकृति कुछ ज्यादा ही मनमोहक हो उठती है. सब कुछ उत्साह से लबरेज करनेवाला और आंतरिक शांति देनेवाला सा महसूस होता है. दिल में उतर जानेवाले, इस वसंत का स्वागत. इस स्वागत समय में कुछ ऐसे लोगों की बात जो वसंत की तरह ही हैं. ऐसे लोग जिनकी उपस्थिति मात्र से पूरे माहौल में एक ऊर्जा का संचार होता प्रतीत होता है.
उनकी उपस्थिति मात्र आपको पुलकित कर देती है. रचनात्मक कार्य में जुटे, लोगों की परेशानी को खुद की परेशानी मान कर जूझनेवाले, आपके नकारात्मक विचारों को पोछ कर रचनात्मक नये विचारों से लबरेज करनेवाले लोग. क्यों न इस वसंत का स्वागत ऐसे लोगों को याद व सम्मानित कर किया जाये. ये चंद अच्छे लोग आपको अपने आसपास भी मिल सकते हैं.
ऐसे लोग किसी भी मायने में वसंत से कम नहीं होते हैं. यह सच है कि समाज में आज ऐसे लोगों की कमी शिद्दत से महसूस की जाने लगी है. अपने में सिमटे, आत्मकेंद्रित, मायावी दुनिया में जीनेवालों के बीच ऐसे लोग रेगिस्तान में नदी की तरह हैं. इस मौके पर याद करना चाहता हूं- स्वामी सत्यानंद सरस्वती को. योग के क्षेत्र में उनके कार्य को पूरा विश्व जानता है. लेकिन सामाजिक सहित अन्य कई क्षेत्रों में भी उनका अमूल्य योगदान है. उनके पास रहना अपने आप में एक बेजोड़ अनुभव था.
जहां सारी निराशा, सारा अंधकार तिरोहित हो जाता था. बातों-बातों में जीवन की व्यवहारिक बातें बता जाते थे. बिना विज्ञापन, तामझाम, बड़ी खामोशी से दूसरों के आंसू पोछते, जीवन संवारते थे. खैर, उनका तो कद भी वैश्विक स्तर का है. अभी कुछ ऐसे लोगों से भागलपुर में मिला जो अपना काम करते हुए बिना किसी लोभ के दूसरों की मदद में लगे हैं. शायद उनसे वासंतिक आभा हर वक्त फूटती रहती है. उनकी उपस्थिति एक सुकून देती है. इस वसंत प्रणम्य ऐसे लोगों का अभिनंदन.
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