भागलपुर: लगभग तीन साल पूर्व भारत भ्रमण के दौरान यूनाइटेड किंगडम की एक ट्रैवल एजेंसी की प्रबंधक क्रिस्टिन न्यूमैन ऐतिहासिक टिल्हा कोठी भी देखने आयी थीं. उनका कहना था कि पूर्वी भारत में इतनी खूबसूरत बिल्डिंग नहीं देखी. 31 मई 2012 को टिल्हा कोठी भ्रमण करने आये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके विहंगम दृश्यों को देख इतने मुग्ध हो गये थे कि उन्होंने इस पर एक पुस्तिका तैयार करने को कहा था. टिल्हा कोठी का ऊपरी आवरण जितना खूबसूरत है, कहा जाता है इसका अंडरग्राउंड उससे भी ज्यादा रोमांचक है.
लेकिन इस कोठी का पुरातात्विक दृष्टिकोण से संरक्षण व सुदृढ़ीकरण नहीं हो पाने के कारण आज तक यह खुलासा नहीं हो पाया कि आखिर अंडरग्राउंड में क्या है.अंडरग्राउंड में प्रवेश करने के लिए कोठी के पश्चिमी ओर से एक छोटी खिड़की के आकार का द्वार बना हुआ है. इससे अंदर झांकने पर एक छोटा-सा कमरा दिखता है. फिलहाल इस कमरे में स्थानीय कर्मचारी भगवान की तसवीरें रख कर प्रतिदिन पूजा-पाठ किया करते हैं. कमरे की दीवार पर खिड़की के आकार का ही दूसरा द्वार बना हुआ है. दूसरे द्वार के बाद अंधेरा अधिक होने की वजह से अंदर देख पाना मुश्किल है. लेकिन यहां झाड़ियां व लताएं उग आयी हैं.
प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ अरुण कुमार झा ने बताया कि ऐसा सुना जाता है कि अंगरेज जब यहां रहते थे, तो उनके मनोरंजन के लिए अंडरग्राउंड कमरे बनाये गये थे. इसमें बने लकड़ी के चैंबर में नृत्य, संगीत, पार्टी वगैरह हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि अंडरग्राउंड कमरे का पुरातात्विक दृष्टिकोण से संरक्षण का कार्य शुरू हो, तो कोठी के कई रहस्य सामने आ पायेंगे. उन्होंने बताया कि टिल्हा कोठी को मामूली बिल्डिंग समझना कतई उचित नहीं. इसका इतिहास भी ‘रोमांस ऑफ हिस्ट्री’ है. इस विभाग के एक कर्मचारी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि विभाग के एक कमरे में पैर पटकने पर धम..धम.. की आवाज होती है. इससे यह प्रबल संभावना है कि इसके नीचे कमरे बने होंगे. विभाग के शिक्षक डॉ एसके त्यागी ने बताया कि जिला प्रशासन ने वर्ष 2012 में टिल्हा कोठी के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव तैयार कराया था. इसमें इसके निचले तल का पुरातात्विक दृष्टिकोण से संरक्षण व सुदृढ़ीकरण का कार्य भी शामिल किया गया था. लेकिन काम शुरू नहीं हुआ.
पर्यटन विभाग नहीं देता ध्यान
डॉ एसके त्यागी बताते हैं कि आज तक इसे बिहार सरकार के गंगा क्रूज पर्यटन परिपथ के एक द्रष्टव्य स्थल के रूप में नहीं जोड़ा गया. इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री द्वारा कोठी पर पुस्तिका तैयार करने का कार्य भी जीर्णोद्धार के प्रस्ताव में जोड़ा गया था. पर्यटन परिपथ में टिल्हा कोठी नहीं होने के कारण अधिकतर पर्यटकों को टिल्हा कोठी की जानकारी भी नहीं हो पाती. वे विक्रमशिला महाविहार और बरारी के पास डॉल्फिन देख कर लौट जाते हैं.