कुलपति ने बताया कि बहुत से लोग मानसिक रूप से पीड़ित होंगे. उन्हें दवा हमारे स्वास्थ्य केंद्र पर ही मिल जायेगा. बहुत से लड़के डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, लेकिन हम सामान्य लोग उसकी समस्या समझ नहीं पाते हैं. मनोवैज्ञानिक उसका पता लगा सकते हैं. काउंसेलर गाइडेंस दे सकते हैं. कई बार ऐसा होता है कि कोई छात्र डॉक्टर या इंजीनियर बनने की चाह तो रखते हैं, जबकि उनके अंदर किसी और क्षेत्र में बेहतर करने की प्रतिभा होती है. इस वजह से छात्र मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में असफल होकर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. इस केंद्र में छात्र यह भी जान सकेंगे कि उन्हें कौन सा क्षेत्र चुनना उनके भविष्य के लिए बेहतर हो सकता है.
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टीएमबीयू में खुलेगा तनाव निवारण केंद्र
भागलपुर: छात्र-छात्राओं में बढ़ते तनाव को देखते हुए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने तनाव निवारण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है. विवि प्रशासन ने महसूस किया है कि किसी भी वजह से तनाव व भटकाव की समस्या झेल रहे छात्रों की मदद निश्चित रूप से करनी चाहिए. इससे न सिर्फ वह बेहतर कैरियर को प्राप्त कर […]
भागलपुर: छात्र-छात्राओं में बढ़ते तनाव को देखते हुए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने तनाव निवारण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है. विवि प्रशासन ने महसूस किया है कि किसी भी वजह से तनाव व भटकाव की समस्या झेल रहे छात्रों की मदद निश्चित रूप से करनी चाहिए. इससे न सिर्फ वह बेहतर कैरियर को प्राप्त कर पायेगा, बल्कि खोये स्वास्थ को पाने में कामयाब हो सकेगा. कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने बताया कि तनाव निवारण केंद्र खोला जायेगा.
इसमें एक मनोवैज्ञानिक, एक कैरियर काउंसेलर और एक डॉक्टर होंगे. निर्णय लिया गया है कि सप्ताह के दो दिन केंद्र के तीनों सदस्य अपना समय केंद्र को देंगे. इसके लिए केंद्र में मिलनेवाली सेवा का प्रचार-प्रसार किया जायेगा ताकि छात्र यह जान सके कि उन्हें यह केंद्र किस तरह सही दिशा दे पायेगा. सप्ताह में दो दिन कौन सा होगा, यह तय होना अभी बाकी है. जो भी छात्र जीवन में तनाव और भटकाव महसूस कर रहे हैं, वह आकर इस केंद्र पर सलाह ले सकेंगे और अपने कैरियर को सुधार सकेंगे.
जीवन है अनमोल
मनुष्य ईश्वर की सबसे उत्तम कृति है, इसलिए हर व्यक्ति का अपने शरीर के प्रति कर्तव्य होता है कि इसे स्वस्थ और जिंदा रखें. आज का युग प्रतियोगी है, इसलिए छात्रों को धैर्य रख कर कठिन परिश्रम के बल पर लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए. मां बाप का भी दायित्व बनता है कि हमारे जो बच्चे हैं या किशोर हैं, उनसे प्यार से व्यवहार करें. बच्चे से बड़ी आकांक्षा न पालें. देखें कि बच्चे हर छोटी छोटी बात पर गुस्सा न हो जाये और धैर्य न खोये. इसमें मां बाप और शिक्षक सबका दायित्व बनता है कि वे बच्चे की प्रेरणा का स्रोत बनें और बराबर सही अभिभावक की तरह मार्गदर्शन करें.
प्रो रमा शंकर दुबे
कुलपति, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय
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