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राष्ट्रीय संस्थाओं को नया आयाम दे रहे विवि के रिसर्च

भागलपुर: देश के राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में हो रहे रिसर्च से नया आयाम मिल रहा है. इनमें कई रिसर्च ऐसे हैं, जो वर्ष 2018 में पूरे हो जायेंगे. कुछ रिसर्च ऐसे हैं, जो वर्ष 2017 में पूरे हो जायेंगे. यही नहीं, शैक्षणिक रूप से समृद्ध होने के लिए पिछले वर्ष […]

भागलपुर: देश के राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में हो रहे रिसर्च से नया आयाम मिल रहा है. इनमें कई रिसर्च ऐसे हैं, जो वर्ष 2018 में पूरे हो जायेंगे. कुछ रिसर्च ऐसे हैं, जो वर्ष 2017 में पूरे हो जायेंगे. यही नहीं, शैक्षणिक रूप से समृद्ध होने के लिए पिछले वर्ष 2015 से टीएमबीयू ने देश-विदेश के कई विद्वानों से भी लाभ लिया है. यह सिलसिला लगातार जारी है.
आर्थिक रूप से भी समृद्धि : विभिन्न संस्थाओं के अलग-अलग प्रोजेक्ट पर शोध कार्य के लिए मिलनेवाली रकम का कुछ हिस्सा विश्वविद्यालय के खाते में भी जाता है. इससे विश्वविद्यालय की आर्थिक रूप से भी समृद्धि बढ़ रही है. विभिन्न प्रोजेक्ट में विवि के साइंटिस्ट व अन्य विषयों के विद्वान तो काम करते ही हैं, शोधार्थियों को भी इस पर काम करने का मौका मिल रहा है. इससे शोध छात्र कई नयी जानकारियों से अवगत हो रहे हैं.
इको फ्रेंडली से प्रदूषण जांच तक: भागलपुर विश्वविद्यालय एनटीपीसी के इको फ्रेंडली मुहिम में भी सहयोगी है. इसी वर्ष संपन्न होनेवाले इस प्रोजेक्ट की जिम्मेवारी प्रतिकुलपति प्रो एके राय के पास है. इको फ्रेंडली के तहत एनटीपीसी परिसर में एक यूनिट की स्थापना कर फल, पत्ते व सब्जियों के कचरे से वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है.

हवा में कार्बन की मात्रा की कमी-वृद्धि का भी अवलोकन कर रहे हैं क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र के डॉ आरके सिन्हा. इसरो, हैदराबाद ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वर्ष 2017 तक का लक्ष्य दिया है. इसी तरह जल संसाधन मंत्रालय द्वारा दिये गये प्रोजेक्ट को लेकर जैव-विविधता, जनसंख्या पारिस्थितिकी, डॉलफिन आदि से संबंधित विषयों पर रिसर्च किया जा रहा है. इसकी जिम्मेवारी पीजी बॉटनी विभाग के अध्यक्ष प्रो एसके चौधरी संभाल रहे हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक प्रोजेक्ट पर गांधी की सभ्यता दर्शन : एक समीक्षात्मक अध्ययन विषय पर पीजी दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ पी शेखर वर्ष 2015 में शोध कर चुके हैं.

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