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महानगरों से ऑर्डर मिलना बंद, रेशम उद्योग पर आफत

महानगरों से ऑर्डर मिलना बंद, रेशम उद्योग पर आफत -दो वर्षों में छह गुना घटा कारोबार-भागलपुर में सिल्क उद्योग का कमजोर हो चुकी है आधारभूत संरचना -बुनकरों को सूत, रंगाई, फिनशिंग व अन्य सुविधा के लिए दूसरे स्थानों पर रहना पड़ता है निर्भर-दूसरे प्रदेशों में बुनकरों को मिल रही है हर तरह की सुविधा दीपक […]

महानगरों से ऑर्डर मिलना बंद, रेशम उद्योग पर आफत -दो वर्षों में छह गुना घटा कारोबार-भागलपुर में सिल्क उद्योग का कमजोर हो चुकी है आधारभूत संरचना -बुनकरों को सूत, रंगाई, फिनशिंग व अन्य सुविधा के लिए दूसरे स्थानों पर रहना पड़ता है निर्भर-दूसरे प्रदेशों में बुनकरों को मिल रही है हर तरह की सुविधा दीपक राव, भागलपुरआधारभूत संरचना कमजोर होने के कारण विश्व में रेशम नगरी के रूप में मशहूर भागलपुर अपनी पहचान खोने की कगार पर पहुंच चुका है. यहां के रेशम कारोबारियों को महानगरों से सिल्क कपड़े का ऑर्डर मिलना बंद हो गया है. दो वर्ष के दौरान प्रतिमाह पांच से छहगुना कारोबार घट चुका है. 30 से 40 करोड़ प्रतिमाह कारोबार करनेवाला सिल्क उद्योग अभी 10 करोड़ रुपये का भी कारोबार नहीं कर पा रहा है.भागलपुर शहरी क्षेत्र में 50 हजार भी प्रशिक्षित बुनकर नहीं बचे हैं. रोजी-रोटी व सुविधा के अभाव में दूसरे महानगरों व क्षेत्रों की ओर उनका पलायन हो रहा है. पलायन के कारण यहां पर प्रशिक्षित कारीगरों की कमी हो रही है. कपड़ें की गुणवत्ता को बनाये रखने की भी चुनौती बन गयी है. कभी प्रतिमाह 50 करोड़ रुपये तक का कारोबार था, जो अब 10 करोड़ भी नहीं हो पा रहा है. बुनकर प्रतिनिधि मो इबरार अंसारी बताते हैं कि दो वर्ष पहले तक सामान्य समय में भी केवल शहरी क्षेत्रों के बुनकरों का कारोबार 50 लाख रुपये रोजाना हो जाता था. अभी चार से पांच करोड़ रुपये प्रतिमाह का कारोबार भी नहीं रह गया है. कारण-1बुनकर व बुनकर प्रतिनिधियों की मानें तो भागलपुर में दो तरह के कपड़ों का कारोबार था. पहला निर्यात और दूसरा घरेलू. निर्यात का काम दो वर्षों में नगण्य हो गया है. घरेलू में भी सस्ता कपड़ा के लिए भागलपुर के बुनकरों के बीच परेशानी की बात हो गयी है. यहां पर न सूत का मिल बचा, न ही बहुत अच्छा पक्की रंग के लिए बड़े पैमाने का कारखाना. हरेक चीजों के लिए दूसरे स्थानों पर निर्भर होने के कारण ही अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां का कपड़ा अधिक महंगा हो जाता है. इसी कारण भागलपुर के कपड़ों का रेट अधिक हो गया और घरेलु बाजार में भी मांग घट गयी है. कारण-2रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ के सचिव अलीम अंसारी बताते हैं कि यहां के बुनकरों को समय पर कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है. इसके बिना ऑर्डर का माल तैयार होने में देरी होती है और पार्टी की नाराजगी बढ़ जाती है. ग्लोबलाइजेशन के कारण अभी पूरी दुनिया जब एक मार्केट है, ऐसे में कहीं से भी कोई ऑर्डर की आपूर्ति करा रहे हैं. भागलपुर में सूत रंगाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है. इससे अप्रशिक्षित लोग जैसे-तैसे सूत रंगाई करते हैं, जो अच्छे व पक्के नहीं होते. बुनकरों को सीधा बाजार नहीं मिलने पर बिचौलिये व पूंजीपतियों का सहारा लेते हैं. इससे काम में काफी अंतर आता है. इससे भी भागलपुर के ऑर्डर में कमी हो रही है.

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