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रिसते रश्तिों से कटी म्मताज भाई की पतंग

रिसते रिश्तों से कटी म्मताज भाई की पतंगफोटो :संवाददाता, भागलपुरएक दूजे का हाथ थाम जिन रिश्तों ने जीवन केे मेले देखे, वहीं जीवन की आपाधापी में रिसते जा रहे हैं. शौक और आनंद की जमीं पर पतंगबाजी का शौक व व्यवसाय करनेवाले म्मताज भाई के रिश्तों की पतंग आधुनिकता की दौड़ में भागते हुए विक्की […]

रिसते रिश्तों से कटी म्मताज भाई की पतंगफोटो :संवाददाता, भागलपुरएक दूजे का हाथ थाम जिन रिश्तों ने जीवन केे मेले देखे, वहीं जीवन की आपाधापी में रिसते जा रहे हैं. शौक और आनंद की जमीं पर पतंगबाजी का शौक व व्यवसाय करनेवाले म्मताज भाई के रिश्तों की पतंग आधुनिकता की दौड़ में भागते हुए विक्की से विवेक बने इनसान ने काट दिया और इस तरह मानवीय संवेदना की जमीं पर पले-पढ़े म्मताज भाई के रिश्तों की पतंग रिसते रिश्तों के कारण कट गयी. अवसर था आलय भागलपुर के तत्वावधान में रविवार की शाम को कला केंद्र पर आयोजित ‘म्मताज भाई पतंग वाले’ की नाट्य प्रस्तुति का. युवा रंगकर्मी और बेहतरीन नाटककार मानव कौल की गद्यशिल्प और कुमार चैतन्य प्रकाश के कथा शिल्प (परिकल्पना एवं निर्देशन) के बूते जीवंत हुई म्मताज भाई पतंग वाले ने संवेदनाओं का ऐसा तानाबाना बुना, जिसने नाउम्मीदी के भंवर से दर्शकों को निकालकर उम्मीद की रोशनी में लाकर खड़ा करता है. म्मताज भाई की पतंग केवल पतंग नहीं बल्कि एक उम्मीद, एक आशा और रोशनी की झीनी किरण है. इस कहानी में दो दोस्त विक्की(सूरज) और आनंद(मिथिलेश) और म्मताज भाई (अतुल रजक) के बीच की कहानी है. इसमें म्मताज भाई की पतंगबाजी को देखकर विक्की भी एक बेहतरीन पतंगबाज बनने का ख्वाब पालता है. लेकिन यह जानने के बाद म्मताज भाई की बीबी और बेटी है, यह जानकर उसे दु:ख होता है. और वह म्मताज भाई के काली पतंग को जलाकर जिंदगी की राह पर आगे बढ़ जाता है. इधर विक्की बड़ा होकर विवेक(रंजीत मिश्रा) तनु(तनुश्री) से शादी करता है जो उसके आफिस में उसकी बॉस भी है. इधर आनंद के फोन पर विवेक अपने गांव म्मताज भाई से मिलने के लिए गांव आता तो है, लेकिन वह उसी शाम को जिंदगी की आपाधापी में शामिल होने के लिए ट्रेन से मुंबई निकल जाता है. नाटक में विक्की की बहन बनी श्वेता साहा, पत्नी बनी तनुश्री और टीचर की भूमिका निभाने वाले अमित आनंद के बेहतरीन अदाकारी ने नाटक की गतिशीलता और रोचकता को बनाये रखा. पंचलाइट की रोशनी में जला जातिवाद फणीश्वर नाथ रेणु और चैतन्य प्रकाश के निर्देशन एवं परिकल्पना से रचित कहानी पंचलाइट ने अपनी रोशनी से जातिवाद को जला दिया. नाटक में दिखाया जाता है कि जिस गोधन(मो शहादत) को आवारा कहकर महतो जाति के लोग घृणा, उपेक्षा व हेय दृष्टि से देखते हैं. वहीं जब पंचलाइट जला देता है, तो वहीं समाज उसे योग्य समझ लेता है और अपनी समाज की मुनरी(प्रीति कुमारी) जिसे गोधन प्यार करता है, को सौंप देता है. इसमें परवेज अली, अंकित कुमार, रोहन सिंह, चंचल किरण, रवि रंजन, अरूणिमा सिंह, आदि ने बेहतरीन मंचन किया.

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