गांव में हो रहे बदलाव को दरशाता पंचलाइट-भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ की ओर से कार्यशाला में तरासे गये सुदूर देहाती क्षेत्र के बच्चों ने थियेटर कलाकारों की तरह दी प्रस्तुति, तो दर्शक रह गये अवाक -फणीश्वर नाथ रेणु की पंचलाइट व मानव कौल की रचना मुमताज भाई पतंग वाले नाटक का मंचनफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुरमहतो टोला में जलेगा पंचलाइट, तो वाभन टोली में आंख चुंधिया जायेगी. अब जली है भैया, डोलावे पंचलाइट…जैसे गीतों के साथ गंवई अंदाज में भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ की ओर से कार्यशाला में तरासे गये सुदूर देहाती क्षेत्र के छात्र-छात्राओं ने शारदा संगीत सदन में शनिवार को जब फणीश्वर नाथ रेणु की रचना पंचलाइट नाटक का मंचन किया, तो मंच पर गांव उतर आया. एक गांव में पंचलाइट-पेट्रोमैक्स के आने के इर्द-गिर्द बुनी गयी कहानी केवल प्रश्न ही खड़ा नहीं करता, बल्कि पंचलाइट की रोशनी से अंधेरे को दूर करने का रास्ता भी दिखाता है. दर्शकों को एक बार लगा कहीं वह थियेटर तो नहीं देख रहे. यह नाटक गांव में हो रहे बदलाव को दरशाता है. इसमें तत्कालीन समाज में जाति-पाति व ऊंच-नीच के भेदभाव पर कटाक्ष किया गया. नाटक का निर्देशन रंगकर्मी कुमार चैतन्य प्रकाश ने किया. नाटक का सूत्रधार अगनू की भूमिका में परवेज अली, बुद्धन अंकित कुमार, दीवान गौरव आनंद मुलगैन रोहन सिंह, तारणी चंचल किशन, फेकू रवि रंजन, फुटंगी प्रीतम, गोधन मो शहादत, शंकर भगत अमन आर्यन, गुलरी अरुणा, मुनरी प्रीति कुमारी, कनेली अरुणिमा सिंह, लालचन शिवशंकर प्रसाद सिंह, लालटू अभिषेक बने. ग्रामीण की भूमिका में विपिन कुमार, राजदेव मंडल, मनीषा, अनुराधा गीतेय, स्वीटी, दीप्ति रंजन, पूजा थी. कार्यक्रम का शुभारंभ भारतेन्दु नाट्य अकादमी के उप निदेशक रमेश चंद्र गुप्ता, रंगकर्मी प्रो चंद्रेश, डॉ जेता सिंह, आलय के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, नवोदय विद्यालय के प्राचार्य डीके झा, अरुण कश्यप ने संयुक्त रूप से किया. नाटक में नृत्य निर्देशन मिथिलेश कुमार, गायन शैलेश, वादन मोहित नाहर, वेशभूषा प्रतिमा कुमारी, रंजीत, प्रकाश परिकल्पना विकास, अमित, रोहन, आनंद, मुख सज्जा श्वेता, सूरज, अतुल, अरुणिमा, प्रीतम, दीप्ति रंजन, सुरभि, पूजा, मंच प्रबंधक ब्रजकिशोर सिंह, सूरज, सलमान, प्रेक्षागृह व्यवस्था शशिशंकर ने किया. मंच का संचालन डॉ ओम सुधा ने किया. मौके पर शारदा संगीत सदन की प्राचार्या शर्मिला नाहर, पूर्व प्राचार्य शंकर मिश्र नाहर आदि उपस्थित थे. एक उम्मीद की किरण है मुमताज भाई पतंगवालेपंचलाइट नाटक के बाद मुमताज भाई पतंगवाले नाटक का मंचन हुआ. इस नाटक में वैश्वीकरण के इस आपाधापी में रिश्ते रिसने लगे हैं. एक पतंगबाज मुमताज भाई के माध्यम से नाटककार मानव कौल ने संवेदनाओं का ऐसा ताना-बाना बुना है, जो नाउम्मीदी के भंवर से दर्शकों को निकाल कर उम्मीद की रोशनी में लाकर खड़ा करता है. इस नाटक में पतंग केवल एक कृति नहीं, अपितु एक उम्मीद है, आशा है, रोशनी की पतली सी किरण है. इसमें जब मुमताज भाई पतंगवाले विक्की को कहता है कि मियां पतंगबाजी सिखाई नहीं जा सकती, वह या तो आती है, या नहीं आती. नाटक में तनुश्री, रंजीत कुमार मिश्रा, अमित आनंद, सूरज, मिथिलेश, श्वेता साहा, प्रतिमा, अतुल रजक, ब्रज किशोर सिंह, पवन, मीनू, स्नेहा, विक्रम, सुरभि, स्नेहा आदि ने मंजी हुई भूमिका की.
गांव में हो रहे बदलाव को दरशाता पंचलाइट
गांव में हो रहे बदलाव को दरशाता पंचलाइट-भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ की ओर से कार्यशाला में तरासे गये सुदूर देहाती क्षेत्र के बच्चों ने थियेटर कलाकारों की तरह दी प्रस्तुति, तो दर्शक रह गये अवाक -फणीश्वर नाथ रेणु की पंचलाइट व मानव कौल की रचना मुमताज भाई पतंग वाले नाटक का मंचनफोटो नंबर : आशुतोष […]
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