भागलपुर: कुप्पाघाट स्थित मेंहीं महर्षि आश्रम में रमेश बाबा उर्फ रमेश यादव की दबंगई के खिलाफ शनिवार को आश्रम के तीन साधु एसएसपी से मिले. साधुओं ने बताया कि कैसे आश्रम में रमेश बाबा की दबंगई चलती है.
एसएसपी ने मिलने पहुंचे बलराम बाबा ने बताया कि वे 35 वर्ष से आश्रम में रह रहे हैं. जनवरी 2012 में रमेश यादव उर्फ रमेश बाबा ने अमित कुमार व ब्रह्मदेव साह के साथ मिलकर मुङो पीटा था. मेरे कमरे का सारा बरतन उठा कर फेंक दिया था. बीमारी के कारण मैं अपना खाना खुद बनाता हूं, जबकि रमेश बाबा मुझ पर जबरन मेस में खाने का दबाव बना रहा था. इसी बात को लेकर मुङो बेरहमी से पीटा गया था. इस संबंध में मैंने रमेश बाबा व दो अन्य साधुओं के खिलाफ बरारी थाने मे छह जनवरी 2012 को प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. इस घटना के बाद पुन: रमेश बाबा ने गजानंद बाबा के साथ मारपीट की, जिसमें गजानंद घायल हो गये. अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. मारपीट की घटना के बाद आश्रम के साधु काफी भयभीत हैं.
चिट्ठी के कारण हुआ विवाद !
मेंहीं महर्षि आश्रम में मारपीट में घायल गजानंद बाबा की एक चिठ्ठी ने आश्रम की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किये हैं. बताया जाता है कि इस चिठ्ठी के बाद रमेश बाबा ने गजानंद बाबा को पीटा तथा आंख फोड़ने का प्रयास किया. चिठ्ठी में हरिनंदन बाबा व उनकेरिश्तेदार व समर्थकों के पर कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं. चिठ्ठी में जिक्र है कि गुरु महाराज के पवित्र धार्मिक स्थल सबसे पुराने सत्संग भवन को शौचालय बना दिया गया. गुरु महाराज के सुझाव से बना सत्संग भवन को तोड़ कर उसे कमरा बनाने की साजिश की जा रही है.
जबकि इसी सत्संग भवन के चारों ओर गुरु महाराज व्हील चेयर से भ्रमण करते थे. आश्रम के गोशाला से प्रतिदिन 60 किलो दूध आता है. 40 किलो दूध बेचा जाता है, जबकि 20 किलो दूध हरिनंदन बाबा के समर्थक व रिश्तेदारों को दे दिया जाता है. दूध बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि का कोई हिसाब-किताब नहीं है. आश्रम के भीतर आठ दानपेटी है. इनसे महीने में तीन लाख रुपये का चढ़ावा आश्रम को प्राप्त होता है. इसका भी कोई लेखा-जोखा नहीं है. भंडारा के नाम पर साधुओं से 8 से 15 हजार रुपये तक की वसूली की गयी, लेकिन उसके बदले घटिया चावल, किशमिश, दाल, सड़े आलू खिलाये गये. आश्रम में नि:शुल्क रूप से सेवारत साधु के रहने के लिए पुराना खंडहरनुमा मकान मिलता है, जबकि हरिनंदन बाबा के रिश्तेदार व परिचितों को अटैच बाथ वाले कमरे में ठहराया जाता है. आश्रम से प्राप्त होने वाला छोटा गमछा, चादर को हरिनंदन बाबा अपने सगे-संबंधियों के घर भेज देते हैं. आश्रम के नाम पर चंदा करना तथा अनाज को रमेश बाबा हर माह बेच देते हैं. आश्रम के ट्रैक्टर का निजी प्रयोग तक किया जाता है.