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पूरी हुई मुराद, आज से खनकेंगे पैकर के घुंघरू

पूरी हुई मुराद, आज से खनकेंगे पैकर के घुंघरू – ताजिया में दिखेगी ताज महल की झलक – हजरत इमाम हुसैन ने सच्चाई के लिए दी शहादत – या अली, या हुसैन की सदा से गूंजेगा शहर आरफीन, भागलपुर मुहर्रम की सातवीं तारीख बुधवार को सराय स्थित इमामबाड़ा में फातिहा व नयाज कराने के बाद […]

पूरी हुई मुराद, आज से खनकेंगे पैकर के घुंघरू – ताजिया में दिखेगी ताज महल की झलक – हजरत इमाम हुसैन ने सच्चाई के लिए दी शहादत – या अली, या हुसैन की सदा से गूंजेगा शहर आरफीन, भागलपुर मुहर्रम की सातवीं तारीख बुधवार को सराय स्थित इमामबाड़ा में फातिहा व नयाज कराने के बाद पैकर के घुंघरू की खनक से शहर गूंज उठेगा. हजरत इमाम हुसैन की याद में पैकर बन कर शहर भर के इमामबाड़ों का भ्रमण करेंगे. या अली, या हुसैन के सदा लगाते रहेंगे. यह सिलसिला मुहर्रम की दसवीं तारीख तक चलता रहता है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों की मुरादें पूरी होती हैं, वह पैकर बनते हैं. मुहर्रम की पहली तारीख से ही पैकर बननेवाले लोग बिना चप्पल पहने खुले पैर चलने का अभ्यास करते हैं. पैकर बनने के बाद खुले पैर से ही सभी इमामबाड़ों का भ्रमण करना होता है. मौलाना सरताजुल कादरी ने बताया कि मुराद पूरी होने के लिए लोग कबूलती करते हैं. उनलोगों में से ही कुछ लोग पैकर भी बनते हैं. कुछ लोग दो-चार कबूलती के रूप में पूरा करते हैं, तो कुछ लोग सारी उम्र पैकर बनने का इरादा करते हैं. करबला से लायी गयी मिट्टी किलाघाट सराय स्थित इमामबाड़ा 806 साल पुराना है. बताया जाता है कि बगदाद स्थित करबला मैदान से मिट्टी लायी गयी थी. यह मिट्टी सराय इमामबाड़ा में दफन की गयी है. भागलपुर जिला का यह सबसे पुराना व पहला इमामबाड़ा है. लोगों की आस्था यहां से ज्यादा जुड़ी है. लोग अपनी मुरादें लिए यहां आते हैं.फातिहा व नयाज के लिए पहुंचेंगे लोगमुहर्रम की सातवीं तारीख को अकीदतमंदों की भीड़ से सराय इमामबाड़ा पटा रहेगा. सातवीं तारीख को फातिहा व नयाज कराने के लिए लोग यहां आते हैं. सुबह से ही मेला जैसा माहौल बना रहता है. फातिहा व नयाज के लिए भागलपुर क्षेत्र के अलावा झारखंड व बिहार के अन्य जिलों से भी लोग यहां आते हैं. दिल्ली के कारीगर बना रहे ताजियाफोटो सुरेंद्रमुहर्रम की एक तारीख से बनने शुरू हो जाते हैं ताजिये भागलपुर. मुहर्रम पर मुसलिम क्षेत्र में हजरत इमाम हुसैन के रोजा की गुबंद की तरह ताजिया बनाया जा रहा है. कोतवाली चौक इमामबाड़ा में बन रहा ताजिया इस बार आकर्षण का केंद्र होगा. इस बार पांच बड़े मीनार के साथ ताजिया को ताज महल का रूप दिया जा रहा है. इसे बनाने के लिए दिल्ली से कारीगर आये हैं. ताजिया बनाने में लगभग एक लाख रुपये खर्च आयेंगे. कोतवाली इमामबाड़ा के मोजाबीर मो सल्लो, बाबा रसिद, मो सलाहउद्दीन ने बताया कि ताजिया बनाने में इस बार ज्यादा से ज्यादा प्लाई का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा बांस, चांदी की पट्टी, थरमोकॉल, चट्टी, कागज व रस्सी आदि का भी उपयोग किया जाता है. मुहर्रम की एक तारीख से ताजिया बनाने का काम शुरू हो जाता है. नौंवी तारीख की शाम तक ताजिया बन कर तैयार हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि शुक्रवार देर रात 2.35 बजे ताजिया को सराय इमामबाड़ा ले जाया जायेगा. पुन: 3.35 बजे ताजिया वापस अपने स्थान कोतवाली चौक लाया जायेगा. शनिवार दोपहर 2.35 बजे ताजिया को पहलाम के लिए शाहजंगी ले जाया जायेगा. लगभग 20- 25 ताजिया कतारबद्ध होकर कोतवाली ताजिया के पीछे चलेंगे. ताजिया को पैकर उठाते हैं. यहां बनता है ताजिया मुहर्रम पर मौलानाचक, सराय, पंखा टोली, लोदीपुर, हुसैनाबाद, बरारी, उर्दू बाजार, लोदीपुर, भीखनपुर, मायागंज सहित अन्य मुसलिम क्षेत्रों में ताजिया बनाया जाता है. नाैवीं-दसवीं को रखें रोजाफोटो सिटी में संवाददाता, भागलपुरहजरत इमाम हुसैन ने सच्चाई की राह पर चलते हुए अपनी और अपने 72 साथियों की शहादत दी. करबला की जंग हक व बातिल की जंग थी. यजीद ने धोका देकर हजरत इमाम हुसैन को बुलाया और उन्हें शहीद कर दिया. उक्त बातें डॉ गुलाम सरवर अशरफी ने कही. उन्होंने बताया कि हजरत इमाम हुसैन और उनके साथी आज भी जिंदा हैं. हजरत इमाम हुसैन के बताये रास्ते को आज भी लोग याद रखे हैं. हजरत इमाम ने बताया कि हरहाल में हक व सच्चाई के रास्ते पर चलते रहें. इसके लिए कुरबानी देनी पड़े, तो इससे पीछे नहीं हटे. मुहर्रम की दसवीं तारीख कई मायनों में ऐतिहासिक है. दसवीं तारीख को यौम-ए-अाशुरा भी कहते हैं. डॉ गुलाम ने बताया कि मुहर्रम की एक से 10 तारीख तक लोग अपने-अपने घरों में जलसा व इबादत करते हैं. नौवीं व दसवीं तारीख को रोजा रखते हैं. इसकी बहुत फजीलत है.

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