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काश! रोज आते माननीय ठीक रहतीं हमारी सड़कें
भागलपुर : शहर की सड़कें, सड़क कम, खेत ज्यादा नजर आती है. मरम्मत तब होती है, जब मंत्री आते हैं. शनिवार को ब्लैकलिस्टेड कंपनी से घूरनपीर बाबा रोड का मरम्मत कराया गया. सभा स्थल को जाने वाली जेल रोड का भी जिस ठेकेदार ने मरम्मत किया, उसमें कई खामियां है, जिससे उड़ते धूल के कारण […]
भागलपुर : शहर की सड़कें, सड़क कम, खेत ज्यादा नजर आती है. मरम्मत तब होती है, जब मंत्री आते हैं. शनिवार को ब्लैकलिस्टेड कंपनी से घूरनपीर बाबा रोड का मरम्मत कराया गया. सभा स्थल को जाने वाली जेल रोड का भी जिस ठेकेदार ने मरम्मत किया, उसमें कई खामियां है, जिससे उड़ते धूल के कारण दिन में ही अंधेरा रहता है. ये दोनों शहर की प्रमुख सड़क है.
जेल रोड 10.59 करोड़ से नौ माह पहले बनी है, तो एक किमी लंबी घूरनपीर बाबा रोड 2.33 करोड़ से बनायी गयी है. लेकिन सड़कों का ईमानदारी से निर्माण नहीं हो सका है. एनएच की सड़क के निर्माण के दौरान सहायक अभियंता अजय कुमार पांडेय और कनीय अभियंता विभाकर कुमार उपस्थित रहते थे.
फिर भी नौ माह में ही 10.59 करोड़ की सड़क विशाल गड्ढों में तब्दील हो गयी. जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने के लिए मतदाताओं में जागरूकता आने लगी है. इस बार टूटी-फूटी सड़कें चुनावी मुद्दा बन सकती है.
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