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रेडियोलॉजी पीजी की पढ़ाई मुश्किल

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एक प्रोफेसर व एमआरआइ मशीन की वजह से पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है. जबकि किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे अधिक रेडियोलॉजी जांच की आवश्यकता होती है. आधुनिक तरीके से इलाज के लिए हर मर्ज में अल्ट्रासाउंड, एक्सरे व सिटी स्कैन महत्वपूर्ण […]

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एक प्रोफेसर व एमआरआइ मशीन की वजह से पीजी की पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है. जबकि किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे अधिक रेडियोलॉजी जांच की आवश्यकता होती है. आधुनिक तरीके से इलाज के लिए हर मर्ज में अल्ट्रासाउंड, एक्सरे व सिटी स्कैन महत्वपूर्ण है. हर बार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम कॉलेज व अस्पताल निरीक्षण करने आती है, तो सबसे पहले इमरजेंसी स्थित रेडियोलॉजी विभाग का ही निरीक्षण करती है.
एमसीआइ ने सिटी स्कैन व डीएसए सॉफ्टवेयर की कमी को लेकर सवाल भी उठाया था. इस कमी को प्रबंधन ने पूरा कर लिया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से एंजियोग्राफी में मदद मिलती है. बावजूद इसके इस विभाग को पीजी के लायक सरकार मानने को तैयार नहीं है. विभाग को पिछले चार वर्षो से प्रभारी विभागाध्यक्ष (एसोसिएट प्रोफेसर) डॉ एके मुरारका ही चला रहे हैं.

यहां के चिकित्सक प्रोन्नति की आस में हैं, ताकि विभाग में प्रोफेसर की कमी पूरी हो और पीजी की पढ़ाई शुरू हो. एमआरआइ मशीन के लिए बिहार मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन की ओर से भवन तैयार कराया गया है. लेकिन मशीन को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है. अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि कॉरपोरेशन से पत्र आया है कि भवन को हैंड ओवर कर लें. वह प्रक्रिया एक सप्ताह के अंदर पूरा करने का प्रयास करेंगे. प्राचार्य डॉ अजरुन कुमार सिंह ने बताया कि एमआरआइ मशीन पीपीपी मोड पर लगायी जानी है. पीजी पढ़ाई के लिए सबसे अधिक जरूरी प्रोफेसर की कमी को पूरा करना है. सरकार इस कमी को पूरा करे तो आगे की तैयारी हमलोग पूरा कर लेंगे.

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