भागलपुर: भ्रूण हत्या रोकने व लिंग जांच पर लगाम लगाने को लेकर जिला में धावा दल का गठन किया गया था, लेकिन यह दल एक तरह से ध्वस्त हो गया है. पिछले छह माह में जिला के 51 केंद्रों में से एक भी केंद्र पर धावा दल ने निरीक्षण नहीं किया है.
अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच की रिपोर्टिग कागजी खानापूर्ति की तरह की जा रही है. हर माह पांच तारीख तक सभी केंद्रों के संचालकों को सीएस कार्यालय में मरीजों का नाम-पता व मोबाइल नंबर का रिकॉर्ड देने का निर्देश है, पर वह भी समय पर नहीं दिया जाता है. शहर के कई सेंटरों पर लिंग जांच में मोटी रकम वसूली जा रही है. कहलगांव के विकास अल्ट्रासाउंड केंद्र के संचालक द्वारा मरीजों का रिकॉर्डजमा नहीं करने के आरोप में शो कॉज व15 दिनों में रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है.
ढाई वर्ष पहले हुआ था धावा दल का गठन. ढाई वर्ष पूर्व तत्कालीन सिविल सजर्न डॉ उदय शंकर चौधरी के कार्यकाल में धावा दल का गठन किया गया था. शुरुआत में तो शहर के प्रमुख अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच दल द्वारा की गयी थी. इसमें सभी केंद्रों पर भ्रूण जांच नहीं करने संबंधी बोर्ड, मरीजों के बैठने, पानी पीने व बाथरूम की ठीक व्यवस्था रखने का निर्देश दिया गया था. लेकिन कुछ दिनों के बाद इस मामले की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं हो की वजह से दल निष्क्रिय हो गया. दूसरी बात यह है कि चिकित्सकों के स्थानांतरण व अन्य कार्यो में व्यस्त रहने से दल के सभी सदस्य एकजुट नहीं हो पाते थे. नतीजतन सेंटरों की जांच का काम धीरे-धीरे शिथिल पड़ गया. डॉ सुशीला चौधरी बीमारी से लंबी छुट्टी पर चल रही थी. उन्होंने 10 जून को अस्पताल में योगदान दिया है.
धावा दल तो जांच करती ही है. अगर जांच नहीं की तो निरीक्षण रिपोर्ट कैसे दिया. हमने भी पटना रिपोर्ट किया है. ऐसी बात नहीं है, समय-समय पर अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच की जाती रही है. डॉ शोभा सिन्हा, सिविल सजर्न