भागलपुर: यह समाज तब सुधरेगा जब ऐसे पापियों को सही सजा मिलेगी. जब लोग नारियों के प्रति इज्जत का भाव रखेंगे. यह प्रतिक्रिया लोगों ने प्रभात खबर के फेसबुक के माध्यम से पूछे गये सवाल कि क्या गुनहगारों की सजा से महिलाओं के प्रति हो रहे र्दुव्यवहार पर रोक लगेगी, इस पर दी है. मिथुन कुमार का कहना है अब भी महिलाएं सिर्फ 10 प्रतिशत ही सुरक्षित है. पुरुषोत्तम मालाकार का कहना है कि ऐसे मामलों में अगर सख्त सजा होगी तो निश्चित ही ऐसे अपराध में कमी आयेगी. मुरारी शर्मा पालीवाला का कहना है, यह सजा सबक है उन भेड़ियों के लिए जो मां बहनों को गलत निगाह से देखते हैं. पायल मिश्र कहती हैं कि यह फैसला तो अच्छा है पर महिलाएं अब भी सुरक्षित नहीं है. दिलशाद इस फैसले को सही ठहराते हैं और कहते हैं, इससे महिलाएं सुरक्षित होंगी. रविशंकर रवि लिखते हैं एक अन्य दोषी को भी सजा होनी चाहिए.
मेंहीं प्रसाद यादव कहते हैं कि ऐसे आरोपी को जनता के हवाले कर देना चाहिए. रुपक राज लिखते हैं, दामिनी को इंसाफ मिला. गंगाधर मंडल कहते हैं, सजा मिलना सही है पर नारी को भोग की वस्तु के तौर पर देखी जायेगी तब तक ऐसे मामले नहीं खत्म हो सकते हैं.
पिंटू कुमार लिखते हैं, जल्द ही फांसी के तख्ते पर झूले ये दरिंदे तभी निर्भया की आत्मा को शांति मिलेगी. आशीष किशोर लिखते हैं, अगर उस नाबालिग को भी फांसी की सजा होती तो एक मैसेज जाता कि अपराध कोई भी करे सजा कठोर मिलेगी. सुरुचि साहा कहती हैं, इस सजा के बावजूद नारियां कितनी सुरक्षित हैं यह कहा नहीं जा सकता है. इसके अलावा डॉ आलोक भाष्कर, पारितोष कुमार, गौरव वाजपेयी, सुरविंद रावत, सागर वर्मा, सिंपल कुमार, गुलजार, राहुल कश्यप, संतोष कुमार, निशांत, श्रीवी, मो. सरफराज आलम आदि ने भी प्रतिक्रिया दी है.