7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सर्वार्थ सिद्धि योग में है अक्षय तृतीया

भागलपुर: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की तिथि ही अक्षय तृतीया है. इस बार मृगश्र नक्षत्र में अक्षय तृतीया की तिथि 13 मई को है. इसमें सर्वार्थ सिद्धि का योग बनता है. इसके अंतर्गत दान-पुण्य करने से सर्वार्थ सिद्धि का फल प्राप्त होता है, साथ ही कोई कार्य शुभ होता है. त्रेता युग […]

भागलपुर: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की तिथि ही अक्षय तृतीया है. इस बार मृगश्र नक्षत्र में अक्षय तृतीया की तिथि 13 मई को है. इसमें सर्वार्थ सिद्धि का योग बनता है. इसके अंतर्गत दान-पुण्य करने से सर्वार्थ सिद्धि का फल प्राप्त होता है, साथ ही कोई कार्य शुभ होता है.

त्रेता युग का हुआ था आरंभ
ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहा जाता है. अक्षय का शाब्दिक अर्थ कभी नष्ट (क्षय) नहीं हो अथवा जो स्थायी रहे. शास्त्र के अनुसार सधवा स्त्री व कन्या गौरी पूजा करके सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करती हैं तो मनोकामना पूरी होती है. अक्षय तृतीया ईश्वर की अनुकंपा से अखंड एवं सर्वव्यापक होता है.

चारों युग में से त्रेता युग का आरंभ अक्षय तृतीया तिथि से ही हुआ था. इसी तिथि को भगवान बद्री नारायण के पट खुलते हैं. अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन में श्री बिहारी जी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार होते हैं. अक्षय तृतीया के दिन ही रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया था. अक्षय तृतीया का एक और महत्व है कि उस दिन द्रौपदी को भगवान द्वारा अक्षय पात्र मिला था.

अक्षय तृतीया की मान्यता
अक्षय तृतीया को कलश में जल भर कर पंखा, चरण पादुका, छाता, जूता, गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र आदि का दान पुण्यकारी माना गया है. इस दान के पीछे लोक आस्था है कि इस तिथि को जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाता है, वैसे वस्तु स्वर्ग में ग्रीष्म ऋतु में उस जातक को प्राप्त होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें