भागलपुर: भागलपुर रेलवे स्टेशन से गुजरनेवाली पैसेंजर ट्रेनों में यात्री जान जोखिम में डाल कर यात्र करते हैं. इन ट्रेनों में यात्री सीट पर बैठने के बदले गेट पर खड़े होकर या गेट पर पैर नीचे लटका कर यात्र करते हैं. कुछ ट्रेनों में भीड़ होने पर यात्री इंजन पर सवारी करने से भी बाज नहीं आते. इसके अलावा लोकल ट्रेनों में कई यात्री अपनी साइकिल व कंटेनर खिड़की पर लटका देते हैं. इस तरह यात्र के दौरान कई बार ट्रेन से गिर कर यात्रियों की जान भी जा चुकी है, लेकिन यात्री इससे सबक नहीं लेते. इस तरह यात्र करना अब लोगों की आदत में शुमार हो गया है. यात्रियों की इस लापरवाही पर रेल अधिकारी यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यात्री बात ही नहीं सुनते हैं.
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया
हर दिन भागलपुर स्टेशन से आधा दर्जन पैसेंजर ट्रेन भागलपुर स्टेशन आती है. इसमें साहेबगंज-जमालपुर पैसेंजर, जमालपुर-भागलपुर, आजिमगंज भागलपुर, रामपुर हाट -गया, हावड़ा-जयनगर, हावड़ा-राजगीर व बांका मंदारहिल पैसेंजर ट्रेन है. इसके अलावा कई एक्सप्रेस ट्रेनें भी यहां से खुलती और गुजरती हैं. हर दिन एक्सप्रेस व लोकल ट्रेनों में यहां से 14 हजार यात्री विभिन्न स्थानों के लिए ट्रेनों से प्रस्थान करते हैं जिससे रेलवे को रोजाना 15 लाख रुपये के राजस्व की प्राप्ति होती है. एक रेल अधिकारी ने बताया लोकल ट्रेनों में कम दूरी तक यात्र करनेवाले अधिकांश यात्री बेटिकट होते हैं. इससे रेलवे को तो राजस्व का नुकसान होता ही है, साथ ही अगर कभी मजिस्ट्रेट चेकिंग होती है तो पकड़े जाने के भय से ऐसे बेटिकट यात्री चलती ट्रेन से कूदने से भी नहीं चूकते. इससे दुर्घटना की आशंका भी रहती है.
धमारा की घटना के बाद सजग नहीं
सहरसा रेलखंड के धमारा घाट के पास सोमवार को राज्यरानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से 37 लोगों की मौत के बाद भी भागलपुर रेलवे स्टेशन पर ना तो रेल प्रशासन सजग हुआ है ना ही यात्रियों को अपनी जान की परवाह है. मंगलवार को भागलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म दो पर खड़ी ट्रेन पकड़ने के लिए प्लेटफॉर्म एक के यात्री ब्रिज का उपयोग ना कर पटरी को पार कर रहे थे. विक्रमशिला ट्रेन के आने की घोषणा हुई, गाड़ी प्लेटफॉर्म पर आ रही थी और प्लेटफॉर्म दो पर पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी. उसे पकड़ने के लिए यात्री जान को जोखिम के छाल कर पटरी पार रहे थे.