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पत्नी को भगाने के मामले में मनोवैज्ञानिक की राय

वर्चस्व कम न हो, इसलिए नहीं चाहते बेटीफोटो : सिटी में (प्रो एनके वर्मा)हमलोगों का समाज पुरुष प्रधान है. पुरुष समझते हैं कि पुरुषों की संख्या अधिक होगी, तभी तो वे प्रधान बने रह सकेंगे. उनका वर्चस्व बना रहेगा और वंश भी चलेगा. दूसरी ओर महिलाओं के साथ होनेवाले छींटाकशी, छेड़खानी, दुराचार जैसी घटना ने […]

वर्चस्व कम न हो, इसलिए नहीं चाहते बेटीफोटो : सिटी में (प्रो एनके वर्मा)हमलोगों का समाज पुरुष प्रधान है. पुरुष समझते हैं कि पुरुषों की संख्या अधिक होगी, तभी तो वे प्रधान बने रह सकेंगे. उनका वर्चस्व बना रहेगा और वंश भी चलेगा. दूसरी ओर महिलाओं के साथ होनेवाले छींटाकशी, छेड़खानी, दुराचार जैसी घटना ने भी पुरुषों की मानसिकता को स्वस्थ नहीं होने दिया है. पुरुषों को लगता है कि बेटी होगी, तो कहीं उक्त घटनाओं के कारण उनका मान-सम्मान न खो जाये. मुझे लगता है कि दहेज अब दूसरा कारण बन गया है, जिससे पुरुषों को धन हाथ से जाने का डर बन जाता है. नगालैंड में लड़कियों के साथ ऐसा नहीं होता. लेकिन जहां पुरुष प्रधान समाज होगा वहां बेटियों की चाहत नहीं होगी या कम होगी. ऐसे समाज में पुरुष अपने उत्तराधिकारी के रूप में पुरुष ही चाहते हैं. महिलाएं भी बेटा अधिक पसंद करती हैं. इसका कारण वह समझती हैं कि उनका संरक्षण करनेवाला पुरुष ही हो सकता है. इन मानसिकताओं में परिवर्तन लाना चाहिए. क्योंकि बेटी नहीं होगी, तो समाज विलीन हो जायेगा.-प्रो एनके वर्मा, पूर्व कुलपति व पीजी मनोविज्ञान के वरीय शिक्षक, टीएमबीयू

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