भागलपुर: सबौर थाना का लैलख गांव पिछले तीन दशक से पेशेवर अपराधियों की शरण स्थली है. अपराधियों में वर्चस्व की जंग मे अब तक कई नरसंहार हुए हैं. कुछ दिनों से यह क्षेत्र शांत था लेकिन बाहरी अपराधियों की आवाजाही से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गयी है. गांव के शांतिप्रिय लोग अपराधियों के भय से मुंह नहीं खोलते हैं. अपराधियों के डर से कई परिवारों ने गांव ही छोड़ दिया. अभी यहां बरियारपुर निवासी अपराधी सरगना जिगुआ की चलती है.
बरियारपुर में पुलिस की दबिश और आपसी मतभेद के कारण लैलख के सेफजोन में रह रहा है. जुगवा ने चार दिन पूर्व एक लड़के की हत्या दिन में घर से ले जाकर कर दी थी. इस संबंध में पुलिस की नाकामी की हद तो यह है कि शव की बरामदगी तो दूर प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हो सकी है. लैलख से हर प्रकार के अपराध के संचालन किया जाता है. बरियारपुर से लैलख तक पॉकेटमार दस्ता चलता है.
कभी सुदामा मंडल का था राज
कभी यहां अपराधी सरगना सुदामा मंडल की तूती बोलती थी. लैलख के सुदामा मंडल और गंगा पार के कैलाश मंडल का नाम अपराध जगत में सबसे ऊपर था. रिश्ते में मामा और भांजा रहे दोनों ने लैलख से अपराध का लंबे समय तक संचालन किया. हत्या, डकैती, अपहरण सहित क ई नरसंहार जैसे बड़े अपराध होते रहे. उसी गैंग में और नाम जुड़ा अनिल यादव. भागलपुर अंखफोड़वा कांड के दौरान उसकी आंख फोड़ दी गयी थी. दूसरा नाम था विंदेश्वरी मंडल. इस प्रकार करीब दो दर्जन से ज्यादा बड़े अपराधियों का गैंग था, जिसका लैलख से संचालन किया जाता था. कई अपराधियों के मारे जाने के बाद स्थिति शांत हुई थी. लेकिन अब जिगुआ के आतंक से लोग परेशान हैं.
पंचायत चुनाव में सक्रिय भूमिका में था जिगुआ
जुगवा का लैलख में ननिहाल है. इस कारण आना जाना था. पहले तो उसे बढ़ावा दिया गया. फिर पूरे गांव पर उसने अपना वर्चस्व कायम कर लिया. उस दौरान पंचायत चुनाव में जुगवा ने पैसा का बल और ताकत का भय दिखा कर अपने चहेते प्रतिनिधि को जिताया. परदे के पीछे उसकी पंचायत सरकार चल रही थी.
कुछ दिन पूर्व उसे जेल जाना पड़ा वापस आने पर उसने गांव में खुले रूप में कह दिया कि जो उसके साथ नहीं थे उसकी एक एक कर हत्या कर दूंगा. उसी कड़ी की शुरुआत चार दिन पूर्व एक लड़के की हत्या कर की गयी. उसके पिता की भी हत्या करने का प्रयास किया गया जिससे वह जख्मी है. सूत्रों की मानें तो पिता की हालत गंभीर बनी हुई है. वह कहीं छिप कर इलाज करा रहा है.