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नयी शिक्षा नीति : चाहते हैं बदलाव, तो दें सुझाव
निलेश भागलपुर : राष्ट्र के विकास में शिक्षा की महती भूमिका होती है. देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कवायद जारी है. एक तरफ राज्य सरकार नित नये प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार नयी शिक्षा नीति की आवश्यकता महसूस कर रही है. देश के लिए नयी शिक्षा नीति निर्माण में […]
निलेश
भागलपुर : राष्ट्र के विकास में शिक्षा की महती भूमिका होती है. देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कवायद जारी है. एक तरफ राज्य सरकार नित नये प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार नयी शिक्षा नीति की आवश्यकता महसूस कर रही है.
देश के लिए नयी शिक्षा नीति निर्माण में आप भी सहभागिता कर सकते हैं. यदि आपके अंदर रचनात्मकता है. स्लोगन, टैगलाइन व लोगो बना सकते हैं, तो यह विशेष मौका है- देश की नयी शिक्षा नीति में अपनी भूमिका अदा करने का. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रलय ने नयी शिक्षा नीति के लिए के जरिये लोगों से प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं. अंतिम तौर पर चयनित प्रविष्टि को 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जायेगा.
कितनी पुरानी है अपनी शिक्षा नीति
शिक्षा को लेकर देश में पहली बार 1986 में नीति बनायी गयी थी. छह वर्ष बाद 1992 में इसे संशोधित किया गया था. अब इस नीति में व्यापक संशोधन कर नयी शिक्षा नीति लागू करने की योजना है. इसके तहत शिक्षा का स्वरूप ऐसा होगा, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पायेगी. नवाचार(इनोवेशन) व शोध की जरूरतें पूरी हो, ताकि दुनिया में भारत की पहचान नॉलेज सुप्रीमो की तरह हो.
साथ ही साइंस, तकनीक से जुड़े कोर्स को बढ़ावा मिले व एकेडमिक व उद्योग जगत में प्रशिक्षित लोगों की कमी पूरी हो सके.
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