भागलपुर: सभी अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों को नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) एक्रेडटेशन (मान्यता) कराने के लिए विशेष चर्चा को लेकर सोमवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति कक्ष में बैठक की गयी. कुलपति डॉ एनके वर्मा ने नैक से एक्रेडटेशन कराने की अनिवार्यता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि यूजीसी ने नैक से एक्रेडटेशन कराना अनिवार्य कर दिया है. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय स्तर पर एक कमेटी गठित की जायेगी, जो कॉलेजों में जाकर वहां के विकास व नैक से एक्रेडटेशन संबंधी कार्यो की समीक्षा करेगी. इसके बाद विवि को समीक्षा रिपोर्ट उपलब्ध करायेगी ताकि यह प्रक्रिया तेजी से संपन्न हो सके.
कुलपति ने विकास पदाधिकारी डॉ मो इकबाल अहमद को नैक से एक्रेडटेशन कराने के लिए प्रक्रिया बताने को कहा. डॉ अहमद ने लगभग 20 मिनट के पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन द्वारा नैक के लक्ष्य व एक्रेडटेशन कराने के लिए सारी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले कॉलेज को एलओआइ (लेटर ऑफ इंटेंट) तैयार कर नैक को ऑनलाइन भेजना है.
लेटर ऑफ इंटेंट स्वीकार होने के बाद आइइयूए (इंस्टीट्यूशनल इलिजिबिलिटी फॉर क्वालिटी एसेसमेंट) को ऑनलाइन भेजना है. नैक से आइइयूए को स्वीकार्य करने के बाद छह माह के अंदर एसएसआर (सेल्फ स्टडी रिपोर्ट) तैयार कर नैक को भेजना है. इसके बाद नैक पर आधारित सात मापदंड (इसका महत्व एक हजार प्वाइंट का है) को विस्तार पूर्वक बताया. नैक से एक्रेडटेशन के लिए शुल्क के बारे में भी बताया. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने नौ से 11 जुलाई तक एक्रेडटेशन संबंधी जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया था. इसमें डॉ अहमद ने भी भाग लिया था.
डॉ एके राय व डॉ रंजन सिन्हा ने भी अपनी बातें रखी. कुछ कॉलेज के प्राचार्य ने बुनियादी सुविधा व शिक्षकों की कमी की बात भी उठायी, जिसकी उपलब्धता एक्रेडटेशन के लिए आवश्यक है. बैठक में प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा, डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार, अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्य, प्रोफेसर इंचार्ज के साथ-साथ कॉलेज के शिक्षक भी मौजूद थे.