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परीक्षा नियंत्रक के शो-कॉज का केंद्राधीक्षक ने दिया जवाब, कहा हां, निष्कासित छात्र ने दी परीक्षा

भागलपुर: तीन वर्षीय लॉ डिग्री कोर्स के सेमेस्टर फोर की परीक्षा में निष्कासित छात्र को परीक्षा दिलाने के मामले में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने मंगलवार को केंद्राधीक्षक से शो-कॉज पूछा. पूछा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को समाचारपत्र से इस बात की जानकारी मिली है कि निष्कासित छात्र को सोमवार को हुई […]

भागलपुर: तीन वर्षीय लॉ डिग्री कोर्स के सेमेस्टर फोर की परीक्षा में निष्कासित छात्र को परीक्षा दिलाने के मामले में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने मंगलवार को केंद्राधीक्षक से शो-कॉज पूछा.

पूछा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को समाचारपत्र से इस बात की जानकारी मिली है कि निष्कासित छात्र को सोमवार को हुई परीक्षा में शामिल कर लिया गया था. लिहाजा इसकी सत्यता की जानकारी दी जाये. केंद्राधीक्षक डॉ एसएन पांडेय ने जवाब दिया है कि यह सच है कि निष्कासित परीक्षार्थी को परीक्षा में शामिल किया गया था.

केंद्राधीक्षक की क्या थी मजबूरी

केंद्राधीक्षक डॉ पांडेय ने बताया कि सोमवार को परीक्षा शुरू होने से पहले कई छात्र हंगामा करने लगे. वे इस जिद पर अड़ गये कि जब तक निष्कासित परीक्षार्थी को परीक्षा में शामिल नहीं किया जायेगा, तब तक कोई भी परीक्षार्थी परीक्षा नहीं देंगे. एक छात्र तो बहुद्देशीय प्रशाल परीक्षा केंद्र के मुख्य गेट पर ही बैठ गया था. हंगामा नियंत्रित नहीं होता देख लॉ के डीन व टीएनबी लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसके पांडेय को 8.50 बजे सुबह फोन कर इसकी सूचना दी. डीन डॉ पांडेय आये और आपस में विचार-विमर्श कर निष्कासित छात्र को परीक्षा में शामिल कर लेने का निर्णय ले लिया गया. केंद्राधीक्षक ने बताया कि एक छात्र के चलते 400 छात्र-छात्रओं के भविष्य का सवाल था. सभी परीक्षार्थी दूर-दराज से आवागमन की समस्या को ङोलते हुए केंद्र पर पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि निष्कासित छात्र को परीक्षा में शामिल करने की विवशता का भी उल्लेख विवि को भेजे गये जवाब में किया गया है. अब परीक्षा बोर्ड जो निर्णय ले. केंद्राधीक्षक ने यह भी बताया कि चाहे कितना भी दबाव क्यों न पड़े, परीक्षा कदाचारमुक्त ही ली जायेगी.

टीएमबीयू की ऐतिहासिक घटना

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कई वरीय शिक्षकों व पदाधिकारियों ने बताया विश्वविद्यालय के स्थापना काल से अब तक ऐसा नहीं हुआ था कि किसी निष्कासित परीक्षार्थी को परीक्षा देने की अनुमति मिल जाये. एक कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि कई बार परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी नकल करने के लिए केंद्राधीक्षक या वीक्षक पर दबाव बनाये. कुछ परीक्षाओं में शिक्षक के साथ हाथापाई तक हुई. परीक्षा का बहिष्कार हुआ, लेकिन कभी किसी निष्कासित परीक्षार्थी को परीक्षा में शामिल नहीं किया गया.

जवाब मिलने के बाद ही कार्रवाई

प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी समाचार पत्र से मिली. केंद्राधीक्षक की ओर से कुछ भी सूचना नहीं दी गयी थी. उन्होंने बताया कि परीक्षा विभाग द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण का जवाब मिलने के बाद ही बताया जायेगा कि किस तरह की कार्रवाई की जायेगी.

नियमानुसार कॉपी शामिल नहीं होनी चाहिए

परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि केंद्राधीक्षक का जवाब मिलने से पहले यह बता पाना मुश्किल है कि सच क्या है. अगर निष्कासित छात्र को परीक्षा में शामिल कराया गया है, तो उनकी कॉपी पर विचार नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि नियमानुसार मूल्यांकन में कॉपी शामिल नहीं की जानी चाहिए, बल्कि रद्द कर देनी चाहिए.

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