भागलपुर: तंबाकू उत्पादों के सेवन से खासकर स्कूली बच्चों में बढ़ रहे खतरे को देखते हुए कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी ने चिंता व्यक्त की है. लगभग 59 फीसदी स्कूली बच्चे तंबाकू का सेवन कर रहे हैं.
इन बच्चों में आठ से 10 वर्ष की उम्र में तंबाकू की आदत लगती है. नयी पीढ़ी किसी बड़ी त्रसदी का शिकार न हो जाये, इसके लिए सोसाइटी के सुझाव को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक आरबी चौधरी ने राज्य के सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को निर्देश दिया है कि सभी शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाये. गेट्स के द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार बिहार में तंबाकू का सर्वाधिक प्रचलन है. इसका बढ़ता प्रचलन महामारी का रूप ले रहा है. यह कैंसर, हृदय रोग जैसे खतरनाक रोगों में परिणत हो रहा है. खासकर युवा पान मसाला, गुटखा आदि का उपयोग निर्बाध रूप से कर रहे हैं.
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय व विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार बिहार राज्य में छह करोड़ की आबादी तंबाकू का उपयोग कर रही है. राज्य की लगभग दो करोड़ आबादी 27 प्रकार के तंबाकू उत्पाद जनित बीमारियों के कारण असामयिक मौत के शिकार होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30 वर्ष पहले ही तंबाकू के सेवन से कैंसर होने का खतरा प्रमाणित किया था. इससे निजात पाने के लिए कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी ने माना है कि स्कूल व कॉलेजों में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करना जरूरी है. यही एकमात्र रास्ता है. सभी शिक्षण संस्थानों को तंबाकू निषेध क्षेत्र घोषित करना आवश्यक है. इसके उल्लंघन होने पर कोटपा की धारा के अंतर्गत सर्वाधिक दंड लगाया जाये. शिक्षा विभाग में तंबाकू नियंत्रण कोषांग का गठन किया जाये, जिसमें एनजीओ को भी शामिल किया जाये.