भागलपुर: पासपोर्ट बनाने में पुलिस सत्यापन अति आवश्यक होता है. बिना पुलिस सत्यापन के पासोपोर्ट नहीं बनेगा. भागलपुर पुलिस जिले में बिना पुलिस को चढ़ावा दिये पोसपोर्ट के लिए पुलिस सत्यापन नहीं होता है. फिलहाल पोसपोर्ट के लिए पुलिस सत्यापन में सबसे न्यूनतम दर एक हजार रुपये है.
वह भी विद्यार्थियों के लिए. अगर कोई बड़े आदमी का पासपोर्ट सत्यापन है तो फिर पुलिस की चांदी ही चांदी. पैसे नहीं देने पर सत्यापन में पुलिस तरह-तरह की खामियां निकालती है. जैसे एड्रेस प्रूफ सही नहीं है, मतदाता सूची में नाम नहीं है आदि. लेकिन पैसे मिल जाने के बाद पुलिस को खामी नजर ही नहीं आती है. लोग भी पुलिस के उलझन भरे सवालों से बचने के लिए पैसे दे देते हैं.
आइजी का निर्देश भी ताक पर
पोसपोर्ट सत्यापन में पुलिस के स्तर से देरी होने पर आइजी ने विशेष निर्देश जारी किया है. लेकिन थाना स्तर से आइजी के निर्देश का भी पालन नहीं होता है. आइजी ने निर्देश दिया है कि थाने से पुलिस सत्यापन में देरी हुई तो सीधे थानाध्यक्ष पर कार्रवाई होगी. दरअसल, पुलिस सत्यापन में काफी देरी लग रही है. पिछले चार महीने का निष्पादन औसत 40 से 50 दिन रहा है. इससे पासपोर्ट आवेदकों को काफी परेशानी हो रही है. आइजी ने कहा कि सभी जिलों में लंबित पुलिस सत्यापन का निष्पादन जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है. पासपोर्ट वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी कर पासपोर्ट कार्यालय को भेजें. आइजी ने स्पष्ट कहा है कि इससे संबंधित कार्य में जिस कार्यालय व थानाध्यक्ष के द्वारा विलंब किया जाता है, उन थाना के थानाध्यक्ष, ऑफिस के कर्मी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करें.
एक पासपोर्ट पर राज्य सरकार को 100 रुपये
एक पोसपोर्ट के सत्यापन की सारी प्रक्रिया पूरी कर जिला से पासपोर्ट कार्यालय भेजा जाता है. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक पासपोर्ट में विदेश मंत्रलय की ओर से 100 रुपये राज्य सरकार को मिलता है. लेकिन भागलपुर जोन के जिलों में पासपोर्ट सत्यापन में देरी होने से राज्य सरकार को भी आर्थिक क्षति पुलिस की वजह से उठानी पड़ रही है.
पासपोर्ट में पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी
पासपोर्ट बनाने में पुलिस सत्यापन अति आवश्यक है. बिना पुलिस सत्यापन के पारपत्र कार्यालय की ओर से पासपोर्ट जारी नहीं किया जाता है. पुलिस सत्यापन में आवेदक का वर्तमान और स्थायी पता, लंबित केस, आवेदन में लगी तसवीर आदि की पुलिस जांच और मिलान करती है.