भागलपुर: मुख्यमंत्री से लेकर तमाम वरीय पदाधिकारियों व डीएम ने भी सभी कर्मचारियों व पदाधिकारियों को अपने-अपने प्रखंड के मुख्यालय में ही आवास बना कर रहने का आदेश दिया है, लेकिन इसका शत-प्रतिशत अनुपालन नहीं हो रहा है. अभी भी अधिकांश प्रखंडों के कर्मचारी व पदाधिकारी जिला मुख्यालय या अपने प्रखंड मुख्यालय से दूर रहते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि प्रखंड में बने आवास जजर्र हैं और वह रहने लायक नहीं हैं.
वहां कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में कैसे रहा जा सकता है. दूसरी तरफ इससे विकास कार्य प्रभावित होता है. लोग परेशान होते हैं. इस व्यवस्था को सुधारने के तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है. सितंबर में प्रमंडलस्तरीय बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी पदाधिकारी-कर्मचारियों के अपने-अपने मुख्यालय में नहीं रहने पर चिंता जतायी थी. उन्होंने कहा था कि पदाधिकारी-कर्मचारी के मुख्यालय में नहीं रहने के कारण सरकारी काम में बाधा आती है.
योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया था कि हर हाल में सभी पदाधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने मुख्यालय में ही आवास बना कर रहें. इसके बाद डीएम डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव ने भी पत्र जारी कर सभी पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री के आदेशानुसार अपने-अपने प्रखंड मुख्यालय में ही आवास रखने का आदेश दिया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी इसका अनुपालन नहीं हो पाया है.
जिला के सभी 16 प्रखंडों में नवगछिया व कहलगांव को छोड़ कर शायद ही किसी प्रखंड में वहां पदस्थापित सभी कर्मचारी या पदाधिकारी रहते हैं. जगदीशपुर, पीरपैंती, बिहपुर, शाहकुंड, गोपालपुर, नारायणपुर प्रखंड के पदाधिकारी व अधिकांश कर्मचारी बाहर रहते हैं. पदाधिकारियों का कहना है कि कहीं आवास की सुविधा नहीं है तो कहीं आवास पूरी तरह से जजर्र हो चुके हैं. जो कि रहने लायक नहीं है. अब सवाल उठता है कि आखिर यह स्थिति क्यों आयी. आवास क्यों वर्षो से खाली पड़े थे, जिसके कारण फिलहाल वह जजर्र हो चुके हैं, जबकि नियमत: पदाधिकारी व कर्मचारियों को अपने-अपने मुख्यालय में ही आवास बना कर रहना चाहिए. यही नहीं अपना मुख्यालय छोड़ने से पूर्व पदाधिकारी व कर्मचारियों को अपने वरीय पदाधिकारी से अनुमति लेने का भी प्रावधान है.
जहां व्यवस्था है, वहां जरूर रहें : डीएम
डीएम डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार का निर्देश है कि मुख्यालय में ही रहना है तो सभी को रहना ही होगा. जहां रहने लायक परिस्थिति नहीं है, उसकी तो बात दूसरी है, लेकिन जहां व्यवस्था है या हो सकती है, वहां तो पदाधिकारियों-कर्मचारियों को हर हाल में रहना ही चाहिए. यदि व्यवस्था के बाद भी नहीं रहते हैं तो यह बड़ी लापरवाही मानी जायेगी और उसके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है. जहां सरकारी आवास नहीं हैं, वहां मुख्यालय में ही किराये का मकान लेकर रहा जा सकता है. जजर्र क्वार्टर के संबंध में उन्होंने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारियों को इसकी मरम्मती के लिए विभाग को लिखना चाहिए.