भागलपुर: भागलपुर हवाई अड्डा से हवाई जहाज तो नहीं उड़ा, लेकिन यह कूड़ा डंपिंग जोन जरूर बन गया. पिछले सात साल से कूड़ा डंपिंग जोन खोज रहे नगर निगम ने हवाई अड्डा परिसर को अपना नया ठिकाना बनाया है.
सारे नियमों को ताक पर रख निगम के ट्रैक्टर से अब शहर का कूड़ा-कचरा हवाई अड्डा परिसर में डंप किया जा रहा है. गुरुवार को भी कई ट्रैक्टर कूड़ा हवाई अड्डा में गिराया गया. इस प्रतिबंधित क्षेत्र में पहले ही अमरी विशनपुर के बाढ़ पीड़ित शरण लिये हुए हैं. उनके कहीं और रहने की व्यवस्था अब तक प्रशासन की ओर से नहीं की जा सकी है. स्थिति यह है कि हवाई अड्डा पर अगर अभी किसी हवाई जहाज को उतरना हो, तो यहां की अव्यवस्था के कारण ऐसा करना संभव नहीं हो सकता है. यहां रोजाना सौ से भी अधिक ट्रॉली कूड़ा गिराया जा रहा है. इससे पूर्व निगम का कूड़ा हवाई अड्डा की चहारदीवारी के बगल में गिराया जा रहा था. विडंबना यह है कि इस बात से निगम और प्रशासनिक पदाधिकारी दोनों अनजान हैं.
मवेशियों का बना चारागाह, लोग रनवे पर सीख रहे हैं गाड़ी
वर्तमान में हवाई अड्डा की दुर्दशा देखते बन रही है. पूरा परिसर मवेशियों का चारागाह बन गया है. चारों ओर बड़े-बड़े घास व झाड़ियां निकल आयी हैं. रनवे का उपयोग ड्राइविंग सीखने के लिए तो अन्य परिसर का उपयोग खेल मैदान के लिए किया जा रहा है. शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी लगता है.
अगर निगम द्वारा हवाई अड्डा परिसर में कूड़ा गिराया जा रहा है, तो इसे रोका जायेगा. कूड़ा फेंकने के लिए जमीन खोजने का प्रयास तेज होगा. इसके लिए डीएम से भी बात की जायेगी. डीएम सरकारी कार्य के लिए पांच एकड़ सरकारी जमीन आवंटित कर सकते हैं. उन्हें यह अधिकार है. अवनीश कुमार सिंह, नगर आयुक्त
1.38 करोड़ खर्च के बाद भी चहारदीवारी क्षतिग्रस्त
कुछ दिन पूर्व जब 1.38 करोड़ रुपये खर्च कर हवाई अड्डा की चहारदीवारी की मरम्मत करायी गयी और यहां से हवाई सेवा शुरू करने का प्रयास तेज हुआ तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब पलक झपकते पटना-दिल्ली पहुंचना आसान होगा. हवाई सेवा तो शुरू नहीं हुई अलबत्ता चहारदीवारी जगह-जगह जरूर टूट गयी. इस प्रतिबंधित क्षेत्र की स्थिति अभी यह है कि इसका मुख्य गेट हमेशा खुला रहता है और इसकी सुरक्षा के लिए कोई प्रशासनिक व्यवस्था नहीं की गयी है.