भागलपुर : मंजूषा कला स्थानीय स्तर से उठ कर देश और विदेश के विभिन्न कला संस्कृतिक आयोजनों में अपनी धूम मचा चुका है. शिक्षाविद राजीवकांत मिश्र ने कहा कि मंजूषा कला के माध्यम से व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है. मंजूषा कला से बने बंडी को अंग प्रदेश की पहचान के रूप में स्थापित करना होगा.
अन्य वक्ताओं ने मंजूषा कला के विकास के लिए कॉमन फेसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के शीघ्र स्थापना की मांग की. मौके पर मनोज पांडेय मीता, जिला उद्योग केंद्र के पूर्व महाप्रबंधक एनके झा, वर्तमान महाप्रबंधक रामशरण राम, मंजूषा गुरु मनोज पंडित, बिहार महिला उद्योग केंद्र की अध्यक्ष उषा झा, डीडीसी सुनील कुमार, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी शंभू राय, समाजसेवी प्रकाश चंद्र गुप्ता, वासुदेव भाई समेत अन्य लोग थे. बता दें कि पांच दिवसीय मंजूषा कला का आयोजन 15 फरवरी से 21 फरवरी तक होगा.
स्कूलों में बांटे जा रहे मंजूषा कला के पुस्तक व पंपलेट : मुख्य अतिथि व डीएम प्रणव कुमार ने कहा कि मंजूषा कला की मार्केटिंग के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. मंजूषा कला से जुड़े पुस्तक व पंपलेट को स्कूलों में छात्रों के बीच उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान की ओर से बांटे जा रहे हैं. डीएम ने कहा कि साहित्य, संगीत व कला के उत्थान के बिना किसी संस्कृति का विकास नहीं हो सकता है. ऐसे में अंगप्रदेश की मृतप्राय कला के विकास के लिए बिहार सरकार, स्थानीय कलाकार व समाजसेवियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
लोक गायक सत्येंद्र संगीत के गीत पर झूमे श्रोता : उद्घाटन समारोह के बाद बिहार के जाने माने लोकगायक सत्येंद्र संगीत ने एक से बढ़ कर एक गीत गाये. उनके द्वारा गाये गये गीत वाल्मीकि ने रची रामायण, लवकुश को जाने संसार को सुनकर श्रोता झूम उठे. कार्यक्रम स्थल पर मंजूषा के अलावा मधुबनी पेंटिंग, पटना की टिकुली कला, गया का प्रस्तर कला समेत कई स्टॉल लगे.