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सूना हो गया नशा मुक्ति केंद्र मरीज अब नहीं आते इलाज कराने

भागलपुर : शराब बंदी कानून के बीच जिले के सबसे बड़े अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है. उस वक्त उम्मीद किया जा रहा था कि यहां नशे के बीमारों की संख्या अच्छी खासी होगी. सभी का इलाज कर समाज को नशा मुक्त बनाया जायेगा. आज इस सोच पर अंकुश लग गया है. […]

भागलपुर : शराब बंदी कानून के बीच जिले के सबसे बड़े अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है. उस वक्त उम्मीद किया जा रहा था कि यहां नशे के बीमारों की संख्या अच्छी खासी होगी. सभी का इलाज कर समाज को नशा मुक्त बनाया जायेगा. आज इस सोच पर अंकुश लग गया है. आलम यह है कि आज की तारीख में मरीज केंद्र में आ नहीं रहे है. मायागंज के साथ साथ सदर अस्पताल में भी नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया था. आज दोनों नशा मुक्ति केंद्र सूना पड़ा हुआ है. नर्स से लेकर चिकित्सक की तैनाती तो यहां है लेकिन कार्य करने के लिए इनके पास कुछ नहीं है.
मरीज इलाज के लिए काउंसलिंग के लिए आते है सामने : मायागंज हॉस्पिटल के मनोराेग चिकित्सा विभाग में नशा मुक्ति केंद्र बनाया गया है. यह 10 बेड का है. मरीजों को लिए यहां दवा और जांच की सुविधा उपलब्ध है. मनोरंजन के लिए टीबी तक लगाया गया है. मरीजों को यहां मुफ्त दवा और भोजन दिया जाता है. बावजूद यहां मरीज नहीं आ रहे हैं. मरीजों के लिए यहां चार नर्सों व एक प्रोफेसर समेत तीन चिकित्सकों को नियुक्त किया गया है. खाली पड़े वार्ड में कभी-कभी मानसिक रोगियों का इलाज किया जा रहा है.
सदर अस्पताल में नहीं आते मरीज, राह मरीजों की देखते हैं कर्मचारी
सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में शुरुआती छह माह में करीब 35 मरीजों को इलाज किया गया था. लेकिन वर्तमान में यहां दो मरीजों का इलाज चल रहा है. यहां इनके लिए मुफ्त दवा के साथ साथ अन्य सभी सुविधा उपलब्ध है. यहां मरीजों के इलाज के साथ काउंसलिंग भी किया जाता है. लेकिन यहां इसके लिए कोई आ ही नहीं रहा है. हालांकि यहां यह व्यवस्था थी की नशेड़ी की तलाश किया जाये. लेकिन कर्मचारी कार्यालय से बाहर निकलते ही नहीं है. जबकि इस 10 बेड वाले नशा मुक्ति केंद्र पर दो डॉक्टर, एक काउंसेलर व करीब आधा दर्जन नर्सों की तैनाती है.

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