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डॉक्टरों की टीम ने किया था बालगृह का दौरा, 13 बच्चियां थीं बीमार, संचालक थे बेपरवाह सीएस ने सबको किया मायागंज रेफर

भागलपुर : सोमवार को रेशम नगर जीरो माइल स्थित बालिका गृह की कुल 28 बच्चियों की डॉक्टरों की टीम ने जांच की थी. इस दौरान टीम को एक बच्ची मिली, जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी. हालत बिगड़ने के बाद उसे रात दस बजे बालिका गृह से मायागंज अस्पताल लाया गया. वहीं सीएस […]

भागलपुर : सोमवार को रेशम नगर जीरो माइल स्थित बालिका गृह की कुल 28 बच्चियों की डॉक्टरों की टीम ने जांच की थी. इस दौरान टीम को एक बच्ची मिली, जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी. हालत बिगड़ने के बाद उसे रात दस बजे बालिका गृह से मायागंज अस्पताल लाया गया. वहीं सीएस डॉ विजय कुमार ने सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई, भागलपुर समेत सभी पुलिस अधिकारी और प्रधान सचिव को रिपोर्ट दी है.
इसमें कहा गया है कि, कुल 13 बच्चों की तबीयत खराब थी. इन सबको बेहतर इलाज की जरूरत थी. जिसके बाद सभी बच्चियों को पुलिस अभिरक्षा में चिकित्सकों के दल ने 14 बालिकाओं को जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा अस्पताल रेफर कर दिया है.
इन बच्चियों में एक की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण इसे सोमवार को भी मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया. टीम में डॉ प्रियंका रानी, डॉ पूनम मोसेस, डॉ कुंदन शर्मा और डॉ पंकज शामिल थे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि, यदि यहां 14 बच्चियां गंभीर रूप से बीमार थीं, तो यहां के संचालक ने पहले संज्ञान क्यों नहीं लिया. इससे संबंधित रिपोर्ट बनाकर सिविल सर्जन ने संबंधित अधिकारियों को भेजी है.
दोपहर बाद पांच बच्चियों का हुआ इलाज
रेशम नगर जीरो माइल स्थित बालिका गृह से पांच बच्चियों को मंगलवार करीब पांच बजे मायागंज अस्पताल इलाज के लिए लाया गया. ओपीडी में इन बच्चियों का इलाज डॉ राजीव सिन्हा ने किया. यहां आयी बच्चियों को पेट दर्द, खुजली, खांसी, सर्दी समेत कई तरह की शिकायत की. इन सभी का इलाज करने के बाद वापस बाल सुधार गृह भेज दिया गया है. वहीं अन्य बच्चियों के बारे में बताया गया कि, सभी को एक साथ लाना संभव नहीं था. इनको बालिका गृह में वापस ले जाने के बाद दूसरी बच्चियों को लाया जायेगा.
बालगृह में सप्ताह में तीन दिन प्रतिनियुक्त होंगे चिकित्सक
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड जैसी घटना आगे न हो इसके लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिले के सीएस और अधीक्षक के लिए निर्देश जारी किया है. विशेष स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाल गृह देखभाल संस्थानों में सप्ताह में तीन दिन नियमित रूप से एमबीबीएस चिकित्सकों की अंशकालिक प्रतिनियुक्ति की जाये.
साथ ही इनका भ्रमण कार्यक्रम भी सुनिश्चित हो. बच्चाें के स्वास्थ्य की नियमित जांच हो. इन जगहों पर रहने वाले बच्चों का टीकाकरण कराया जाये. जो जरूरी स्वास्थ्य संबंधी सुविधा इनको मिलनी चाहिए उसे हर हाल में इन्हें दी जाये. किशोर न्याय परिषदों, बाल कल्याण समिति के बच्चों की उम्र की जांच होने जरूरी है. इसके लिए सभी जिले के सीएस और अधीक्षक अपने स्तर से मेडिकल बोर्ड का गठन कर ले. इनकी उम्र का सत्यापन 15 दिनों के अंदर किसी भी सूरत में कर लिया जाये. इस आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी जिले के सिविल सर्जन और अधीक्षक पर होगी.
इलाज है प्राथमिकता
जांच रिपोर्ट अधिकारियों को दे दी गई है. जो भी समस्या है उसका समाधान किया जा रहा है. प्राथमिकता सभी बच्चियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की है.
डॉ विजय कुमार, सिविल सर्जन, भागलपुर
बिहार किशोर नियमावली पालन कराने में हर जिला पिछड़ा
सूबे के हर जिले में अगर बिहार किशोर नियमावली 2017 का अनुपालन अच्छे से किया जाता तो मुजफ्फरपुर की घटनाएं सामने नहीं आतीं. सूबे के हर जिले में इस नियम को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. जिस वजह से बालक और बालिका गृह में रहने वाले बच्चों और बच्चियों को परेशानी हो रही है. यह टिप्पणी स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव लोकेश कुमार सिंह ने अपने पत्र में किया है.
यह पत्र सूबे के सभी डीएम को भेजा गया है. इसके साथ बिहार किशोर नियमावली 2017 की प्रति भी भेजी गई है. इन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि, अगर नियम का पालन अच्छे से किया जाता तो सोशल ऑडिट रिपोर्ट के पहले ही मामला सामने आ गया होता. ऐसे में सभी जिला अधिकारी नियमावली को लेकर सतर्क रहे. जिससे भविष्य में बच्चों को ऐसी घटना से नहीं गुजरना पड़े.

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