भागलपुर: नगर निगम विकास कार्य के लिए आये पैसे कर्मचारियों के वेतन पर खर्च कर रहा है. इसका खमियाजा इलाके के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इलाके में विकास का काम रुका हुआ है. इससे नाराज लोगों का गुस्सा अपने पार्षदों पर उतरने लगा है. कई जगह तो वोटरों ने इस बात का एहसास भी करा दिया कि अगले चुनाव में वो बदलाव चाहेंगे.
वोटरों की नाराजगी ङोल रहे पार्षदों ने भविष्य को देखते हुए अब इस मुद्दे को चुनौती के रूप में लिया है. पार्षदों ने स्पष्ट रूप से यह घोषणा कर दी है कि वे विकास की राशि कहीं और खर्च नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा है कि निगमकर्मी निगम के लिए कमाई करें और उसी से खुद का वेतन लें. यानी खुद कमाये, तब खायें. पार्षदों का कहना है कि वे लोगों का गुस्सा ङोलें और कर्मी सुख भोगें ऐसा नहीं चलेगा. इस मुद्दे पर पार्षदों के साथ मेयर और डिप्टी मेयर भी हैं.
जानकारी के अनुसार हर साल निगम को निबंधन स्टांप शुल्क के रूप में लगभग पांच करोड़ रुपये मिलते हैं. नियमत: इस पैसे को शहर के विकास पर खर्च होना है, पर यह निगम कर्मियों के वेतन पर खर्च हो जाता है. जानकारों के अनुसार निगम को होल्डिंग टैक्स के रूप में सालाना लगभग 15 करोड़ रुपये वसूलने हैं. यह वसूली निगम के कर्मियों द्वारा होनी है. इसके अलावा वेतन मद में राशि भी आती है. इसी राशि से कर्मचारियों को वेतन भी मिलना है.
लेकिन होल्डिंग टैक्स की वसूली में निगम कभी भी गंभीर नहीं दिखा. कर्मचारियों द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की वसूली की गयी थी. चालू वित्त वर्ष में भी स्थिति ठीक नहीं. सनद रहे कि निगम कर्मियों के कार्य के आकलन व नियंत्रण के लिए पार्षदों की स्थायी समिति व सामान्य बोर्ड की बैठक होती है. इसमें वसूली को लेकर बराबर निर्णय होता है. मेयर व नगर आयुक्त भी होल्डिंग टैक्स की वसूली के लिए दिशा-निर्देश देते हैं, लेकिन वसूली लक्ष्य से कोसों दूर है. इसका असर विकास और पार्षदों की छवि पर भी पड़ रहा है.