विजिलेंस ने खंगाल ली है पूर्व कल्याण पदाधिकारी की चल-अचल संपत्ति, सीबीआइ भी खंगाल रही
भागलपुर : सृजन घोटाला मामले में जेल में बंद पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी की 28 साल की सरकारी नौकरी के दौरान अर्जित किये गये धन को कई जांच एजेंसी ने खंगाल दिया है. उन्हें सरकारी सेवा के दौरान 48 लाख के करीब बचत होना चाहिए था, लेकिन उनकी संपत्ति निकली ढाई करोड़ से भी अधिक की. इन आरोपों को लेकर विजिलेंस के पटना थाने में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है.
उनकी संपत्ति देख जांच अधिकारियों के भी होश उड़ गये हैं. उनकी संपत्ति की सबसे पहले आर्थिक अपराध इकाई ने जांच की थी. इसके बाद विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने खंगाला. सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ भी उनकी संपत्ति की पड़ताल कर रही है.
सरकार से भी अरुण ने अपनी संपत्ति छिपायी. सभी सरकारी कर्मियों को अपनी चल व अचल संपत्ति का ब्योरा हर साल देना पड़ता है. इसे सरकार सार्वजनिक भी करती है. इस ब्योरे में अरुण कुमार ने अपनी संपत्ति छिपा ली. अरुण ने अपनी चल व अचल संपत्ति और दायित्वों की विवरणी वर्ष 2016 के फॉरमेट में भरकर वर्ष 2017 में विभाग में जमा किया था. आरोप है कि इन्होंने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा भरने के बजाय अधिकतर संपत्ति छिपा ली.
28 साल की सेवा के दौरान खंगाली गयी है संपत्ति. अरुण कुमार 26 अक्तूबर 1989 को सेवा में आये थे. इस तिथि से लेकर 31 जुलाई 17 तक अर्जित की गयी संपत्ति खंगाली गयी है. मामला विजिलेंस थाने में दर्ज हुआ है. सूत्र बताते हैं कि अभी इनके द्वारा अर्जित की गयी संपत्ति की आगे भी पड़ताल होगी. आशंका है कि अरुण कुमार की और भी संपत्ति हो सकती है.
अभी गहने की जांच है बाकी. अरुण ने अपनी सरकारी सेवा के दौरान जमकर संपत्ति अर्जित की. कई जगहों पर जमीन खरीदी. फ्लैट खरीदे. गाड़ी भी खरीदी. आर्थिक अपराध इकाई ने जब अरुण के भागलपुर स्थित फ्लैट पर छापा मारा था, तो उनकी पत्नी की एक तस्वीर बरामद हुई थी. उसमें उनकी पत्नी इंदु गुप्ता गहने से लदी हुई हैं. सूत्र बताते हैं कि जांच अधिकारी इसकी भी जांच कर रही है.
अरुण की संपत्ति
अनुमानित आय 71 लाख
अनुमानित बचत 48 लाख
पत्नी की अचल संपत्ति 1.50 करोड़
अरुण की अचल संपत्ति 1.50 करोड़
(नोट : संपत्ति की जांच अभी जारी है.
यह राशि घट-बढ़ सकती है.)
अमरेंद्र की नहीं आयी मेडिकल रिपोर्ट, वेतन भी है बंद
सृजन घोटाला के एक प्राथमिकी में सूचक बनने के बाद शेष प्राथमिकी के दौरान फरार होकर वापस लौटे जिला नजारत के लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव की मेडिकल रिपोर्ट अभी तक लंबित है. जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार को रिपोर्ट देने को लेकर रिमांइडर भी पिछले दिनों दिया था. मेडिकल रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण लिपिक अमरेंद्र कुमार का वेतन भी जारी नहीं हो रहा है.
सीबीआइ ने चार पूर्व बैंक अधिकारियों से की पूछताछ
सीबीआइ ने सृजन मामले में मंगलवार को बैंक के चार पूर्व अधिकारियों से पूछताछ की है. उन्हें पहले से ही नोटिस मिला था. पूर्व बैंक अधिकारी सबौर कैंप कार्यालय जब पहुंचे, तो उनको एक-एक कर बुलाया गया और पूछताछ की गयी. बैंक अधिकारियों से लगभग डेढ़ घंटे तक पूछताछ की गयी है. सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने ट्रांजेक्शन से संबंधित खामियां पर ही पूछताछ कर रही है. पिछले कई दिनों से बैंक शाखाओं के अधिकारियों से पूछताछ जारी है.