वर्षांत. 2017 में बेहद चर्चित रहे तीन घोटाले, कई चर्चित चेहरे भी घेरे में, अरबों का घोटाला
भागलपुर : वर्ष 2017 में भागलपुर में तीन बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ. बागबाड़ी में दुकान आवंटन घोटाला, फिर बीएयू नियुक्ति घोटाला और आखिरी में सृजन कनेक्शन में कई विभागों की सरकारी राशि निजी संस्था में डाल दी गयी. विभिन्न घोटाले ने जिले के विकास कार्य की रफ्तार पर एकाएक ब्रेक लगा दिया.
बागबाड़ी में भागलपुर हाट की परिकल्पना
यह होना था : सड़क किनारे अतिक्रमण किये दुकानदारों को हटाया गया. उनके द्वारा पुनर्वास की मांग पर प्रशासन ने एक जगह पर बाजार बसाने की घोषणा की.
यह हुआ
तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी कुमार अनुज ने दक्षिणी क्षेत्र के बागबाड़ी बाजार समिति में उक्त दुकानदारों को आवेदन के आधार पर दुकानों की प्लाटिंग और बसाने की कार्रवाई की. मगर यह मामला डीएम के निर्देश पर जांच के दायरे में आ गया. इस जांच की रिपोर्ट पर बाजार समिति के प्रशासक ने सुनवाई की और पूरा बाजार अवैध करार दे दिया. फिलहाल पूरा मामला पटना हाइकोर्ट में लंबित है.
अब हालात यह
एक तरफ बागबाड़ी में दुकान आवंटन का मामला निगरानी की जांच में है तथा दूसरी और पटना हाइकोर्ट में दुकानदार ने अपने को नियमित करने की याचिका दायर की है. मामले पर स्टे होने से वहां के दुकानदारों को मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही है. िजली, पानी व सुरक्षा के बगैर दुकानें लगी हैं.
सृजन घोटाला
यह होना था
सरकारी राशि से विकास कार्यों होने थे. इसमें भू अर्जन विभाग को मिली राशि से पीरपैंती के सोलर पावर प्लांट का जमीन अधिग्रहण होना था.
यह हुआ
भू-अर्जन, कल्याण, डूडा, जिला नजारत, जिला परिषद, पंचायती राज सहित प्रखंड के खातों की राशि गलत तरीके से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में चली गयी. इस कारण पूरा मामला सीबीआइ को जांच के दिया गया. यह कई सौ करोड़ का घोटाला है
वर्तमान स्थिति
सीबीआइ जांच के कारण घोटाले वाले विभाग में ऑडिट चल रही है. अन्य विभागों में भी राशि की जांच करायी जा रही है. सभी विकास कार्य एक तरह से थम गये हैं. अभी तक जिले में विकास कार्य पटरी पर नहीं आ सका है.
161 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में गड़बड़ी
यह है मामला
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी के कार्यकाल में 161 सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति की गयी थी. राजभवन के निर्देश इन सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में हुए घालमेल के आरोप की जांच सेवानिवृत्त जज की कमेटी ने की थी.
जांच बाद यह हुआ
जज की कमेटी ने जांच रिपोर्ट राजभवन को सौंपी. फिर राजभवन के निर्देश पर मामले की प्राथमिकी बीएयू प्रशासन ने सबौर थाने में दर्ज करायी. इसके बाद पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया और पुलिस के स्तर से जांच शुरू हो गयी. अभी तक मामले से जुड़े कई सहायक प्राध्यापक व अन्य लोगों से पूछताछ हो चुकी. मामला न्यायालय में चल रहा है.