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सिर्फ आश्वासन, नहीं खुला 10 बेड का आयुष अस्पताल

उपेक्षा l सदर अस्पताल परिसर में 52 एकड़ जमीन और जमीन आवंटित नहीं होने का हो रहा बहाना सदर अस्पताल परिसर में 10 बेड का आयुष अस्पताल खुलने के आशा पर पानी फिरते दिख रहा है. खुद देसी चिकित्सा पदाधिकारी मानते हैं कि बार-बार आश्वासन मिल रहा है, लेकिन अस्पताल खुलने का मामला ठंडे बस्ते […]

उपेक्षा l सदर अस्पताल परिसर में 52 एकड़ जमीन और जमीन आवंटित नहीं होने का हो रहा बहाना

सदर अस्पताल परिसर में 10 बेड का आयुष अस्पताल खुलने के आशा पर पानी फिरते दिख रहा है. खुद देसी चिकित्सा पदाधिकारी मानते हैं कि बार-बार आश्वासन मिल रहा है, लेकिन अस्पताल खुलने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.
भागलपुर : सदर अस्पताल परिसर 52 एकड़ जमीन में फैला हुआ, जबकि आयुष अस्पताल के लिए 50 डिसमिल जमीन की जरूरत है. परिसर में खाली जमीन पर झाड़-पात उगे हुए हैं. सूअर व अावारा जानवर घूमते हैं. फिर भी जमीन आवंटित नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है. विभाग के पदाधिकारी डॉ विजय कुमार शर्मा ने बताया कि अभी 10 बेड के अस्पताल के लिए जमीन आवंटित नहीं की गयी है. इस कारण ओपीडी चल रही है. इसमें भी आयुर्वेद व होमियोपैथी की ही ओपीडी चल रही है. यूनानी चिकित्सा के लिए नौ वर्षों से चिकित्सक नियुक्त नहीं किये गये.
देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी ने कैंपस में आकर सीएस को निर्देश दिया था. सीएस स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इधर सीएस डाॅ विजय कुमार का कहना है कि सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. अब तक विभागीय अनुमति नहीं मिली है. वहीं डॉ शर्मा ने बताया कि फरवरी में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव भागलपुर आये थे. उस समय भी उन्होंने देसी चिकित्सालय के लिए 10 बेड का अस्पताल खोलने का आश्वासन दिया.
देसी चिकित्सा पदाधिकारी व सीएस आमने-सामने
खुलता अस्पताल तो मरीजों को मिलता लाभ
डॉ विजय कुमार शर्मा ने बताया कि 10 बेड का अस्पताल खुलता तो आयुर्वेदिक, यूनानी, होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज के दौरान जरूरत पड़ने पर उन्हें अस्पताल में भरती भी किया जाता. यहां पर योग केंद्र व पंचकर्म थेरेपी से मरीजों का इलाज किया जाता. यहां पर भरती की व्यवस्था नहीं होने से मरीज देसी चिकित्सा की बजाय एलोपैथी की तरफ रुख करते हैं. पंचकर्म से थैरेपी से लोगों को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ किया जाता है. जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार शर्मा ने बताया कि इस थेरेपी से शरीर के अंदर की गंदगी निकली जाती है. इसमें मरीज को मसाज व हर्ब की मदद से इलाज दिया जाता है. पंचकर्मा थेरपी में 45 मिनट की मसाज दी जाती है, जिसमें शरीर के पांच मुख्य अंगों की मसाज की मदद से साफ किया जाता है.
मानसिक रोगियों के लिए होता पंचकर्म
चिकित्सकों की माने तो जिले में तनाव ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकारी अस्पताल में दवाइयां और काउंसेलिंग दी जाती है, लेकिन ऐसी आयुर्वेदिक थेरपी के लिए मरीजों को प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है. सरकारी अस्पताल में इसकी सुविधा शुरू होने से तनाव ग्रस्त लोगों को बेहतर सुविधा मिलेगी.

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