मामला सीबीआइ के हवाले जाते ही वे शहर आ गये और खुलेआम घूम रहे, ऐसे ही जैसे कह रहे हों कि सीबीआइ से उन्हें डर नहीं लगता. हालांकि यह उनकी गलतफहमी हो सकती है क्योंकि सीबीआइ अभी न सही पर कभी भी दोषियों को उठा सकती है. उनका काम करने का अपना तरीका है.
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सृजन से सबसे ज्यादा पैसे लेने वाले पुलिस से डरते हैं, सीबीआइ से नहीं
भागलपुर : भागलपुर ही नहीं पूरे राज्य का सबसे बड़ा और देश के स्तर के सृजन घोटाले के सबसे बड़े खिलाड़ी को पुलिस से डर लगता है पर सीबीआइ से नहीं. यह सच है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंकों और सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि के घोटाले […]
भागलपुर : भागलपुर ही नहीं पूरे राज्य का सबसे बड़ा और देश के स्तर के सृजन घोटाले के सबसे बड़े खिलाड़ी को पुलिस से डर लगता है पर सीबीआइ से नहीं. यह सच है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंकों और सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि के घोटाले में सबसे ज्यादा पैसे लेने वाला (जैसा कि पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया था) आज शहर में खुलेआम घूम रहा. अगस्त में जब इस घोटाले की जांच पुलिस ने शुरू की और कुछ लोगों को उठाया तो ये महाशय शहर छोड़ भाग निकले थे.
समय मिलने से क्या होगा पुलिस के डर से भागने वाले अब शहर लौट आये हैं. उन्हें ऐसा लग रहा कि सीबीआइ उन्हें गिरफ्तार नहीं करने वाली. ऐसे में उनके पास पर्याप्त समय मिल गया है. इस समय का उपयोग वे सबूत को मिटाने और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए दस्तावेज इकट्ठा करने में लगा सकते हैं. इस बीच वे एकाउंट के पैसे को भी इधर-उधर कर सकते हैं और संपत्ति भी किसी और के नाम कर सकते हैं. घोटालेबाजों को समय मिलने से जांच पर कितना और कैसा प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा. पुलिस की जांच के दौरान डर कर भागने से यह तो साफ हो गया कि वे दोषी हैं पर फिलहाल वे मजे में हैं.
एकाउंट से करोड़ों ट्रांसफर हुए
सूत्रों की मानें तो पुलिस की शुरुआती जांच में जो बातें सामने आयी थीं उसमें पता चला था कि सृजन के खाते से कुछ लोगों के एकाउंट में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किये गये. उनमें से एक शख्स ऐसा है जिसके एकाउंट में सबसे ज्यादा पैसे ट्रांसफर किये गये. उसने वह पैसा नोएडा, दिल्ली, कोलकाता और झारखंड में रियल एस्टेट में लगाया.
मनोरमा देवी ने हाथ से लिखा था किसे कितने पैसे ट्रांसफर किये
सृजन से पैसे लेने वालों का बच पाना बहुत मुश्किल है. मनोरमा देवी ने सृजन और अपने खाते से जिसे भी पैसा ट्रांसफर किया उसका नाम स्टेटमेंट में लिखा था. यही वजह है कि पुलिस को उन लोगों का नाम खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई जिन्होंने पैसे लिये थे. अमित कुमार के घर से मिले दस्तावेज में स्टेटमेंट की कॉपी भी थी जिसमें पैसे लेने वालों का नाम लिखा था. उसमे यह भी लिखा हुआ है कि पैसे क्यों दिये गये. किसी के नाम के आगे लोन तो किसी के नाम के आगे गिफ्ट लिखा हुआ है.
सरकारी खाते में वापस आया पैसा भी सरकारी ही था, जिसने लिया उसने वापस नहीं किया
जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि सरकारी खातों से सृजन और मनोरमा देवी के खातों में पैसे गये और कई बार सरकारी खाते में पैसे वापस भी आये. पर यह जान लेना जरूरी है कि सृजन द्वारा जिन सरकारी खातों में राशि वापस जमा की गयी वह राशि भी सरकारी थी. किसी एक सरकारी खाते में राशि जमा करने के लिए पहले दूसरे सरकारी खाते से राशि सृजन के खाते में जमा की जाती और उसी राशि को सृजन द्वारा जरूरत वाले सरकारी खाते में वापस जमा कर दिया जाता था. इससे साफ है कि सृजन से मोटी राशि लेने वालों ने पैसे वापस नहीं किये. यही वजह है कि यह घोटाला सामने आ गया.
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