आस्था. सावन में अद्भुत होता है अजगैवीनगरी का स्वरूप
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मुक्ति व मोक्ष का संगम स्थल है अजगैवीनगरी
आस्था. सावन में अद्भुत होता है अजगैवीनगरी का स्वरूप शिव ने मुनि से प्रसन्न होकर अजगव नाम का धनुष उन्हें प्रदान किया था. अजगव धनुष इसी आश्रम से प्राप्त करने के कारण इसका नामांकरण अजगैवीनाथ पहाड़ी पड़ा. सुलतानगंज : सुलतानगंज स्थित अजगैवीनाथ धाम अंग जनपद का महत्वपूर्ण स्थल है. प्रागैतिहासिक काल से ही इसका उल्लेख […]
शिव ने मुनि से प्रसन्न होकर अजगव नाम का धनुष उन्हें प्रदान किया था. अजगव धनुष इसी आश्रम से प्राप्त करने के कारण इसका नामांकरण अजगैवीनाथ पहाड़ी पड़ा.
सुलतानगंज : सुलतानगंज स्थित अजगैवीनाथ धाम अंग जनपद का महत्वपूर्ण स्थल है. प्रागैतिहासिक काल से ही इसका उल्लेख मिलता है. पुराणों से लेकर महाकाव्य तक अंग जनपद का वर्णन मिलता है. सन् 938 में ह्वेन शांग नामक चीनी यात्री ने अपने यात्रा वृतांत में इसका वर्णन किया है. अजगैवीनाथ धाम गंगा अवतरण से संबद्ध है. यहां की पहाड़ी पर जाह्नु ॠषि के आश्रम का उल्लेख पुराणों में है. आज यही पहाड़ी अजगैवीनाथ पहाड़ी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि शिव ने मुनि से प्रसन्न होकर अजगव नाम का धनुष उन्हें प्रदान किया था. अजगव धनुष इसी आश्रम से प्राप्त करने के कारण इसका नामांकरण अजगैवीनाथ पहाड़ी पड़ा.
यहां पर गंगा किंचित उत्तराभिमुख होकर बहती है. अजगैवीनगरी को मुक्ति व मोक्ष का संगम स्थल माना जाता है. पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा का सवान में अद्भुत नजारा रहता है. एक तरफ अजगैवीनाथ मंदिर के नयी सीढ़ी घाट में गंगा जल लेकर भोलेनाथ से कांवरिया मुक्ति की कामना करते हैं, दूसरी तरफ गंगा घाट के श्मशान घाट पर कई चितायें जलायी जा रही है. मोक्ष की कामना को लेकर दूर-दूर से सुलतानगंज के श्मशान घाट में लोग परिजनाें का दाह-संस्कार करने पहुंचते हैं. इसलिए अजगैवी नगरी मुक्ति व मोक्ष का संगम स्थल है.
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