भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया. निर्णय के मुताबिक बंगाली भाषा की पढ़ाई पूर्व की तरह ही होती रहेगी, लेकिन बंगाली भाषा के छात्रों को अपने बंगाली भाषा के मूल विषय के अतिरिक्त किसी भी विषय की परीक्षा अंगरेजी या हिंदी में देनी हाेगी. अन्य विषयों की उत्तरपुस्तिका में अगर वे बंगाली भाषा में उत्तर लिखेंगे, तो फेल हो जायेंगे. बुधवार को कुलपति प्रो नलिनी कांत झा की अध्यक्षता में बुलायी गयी विवि के सभी पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया.
दरअसल भागलपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों व पीजी विभाग में हर साल नामांकन कराने के लिए बंगाल के छात्र बड़ी संख्या में आते हैं. दूर-दराज के वैसे कॉलेजों में भी नामांकन ले लेते हैं, जहां रह कर पढ़ने की कोई व्यवस्था नहीं है. सूत्र बताते हैं कि ऐसे छात्र ऑनर्स पेपर के साथ-साथ अन्य सभी विषयों की पढ़ाई में बंगाली भाषा का चयन कर लेते हैं. परीक्षा में भी सभी विषयों के प्रश्न के उत्तर बंगाली भाषा में ही लिख देते हैं.
दूसरी ओर एक तो बंगाली भाषा के शिक्षकों की भारी कमी है. दूसरा अन्य विषयों में बंगाली भाषा के जानकार नहीं हैं. छात्र इस बात का फायदा उठाने से नहीं चूकते. इस कारण कॉपियों की जांच में दिक्कत आने लगी है और रिजल्ट भी प्रभावित होने लगा है. विश्वविद्यालय के उक्त निर्णय का उद्देश्य छात्रों की मनमर्जी पर अंकुश लगाना है.
बंगाली भाषा की पढ़ाई करनेवाले छात्रों को अब सिर्फ मूल विषय बंगाली भाषा के अतिरिक्त सभी विषयों की परीक्षा अंगरेजी या हिंदी में देनी होगी. विवि के सभी पदाधिकारियों की बैठक में कुलपति ने यह निर्णय लिया है.
डॉ आरके श्रीवास्तव, पीआरओ, टीएमबीयू