सबौर: किसानों के लिए यह एक अच्छी खबर है. अब बंजर, ऊंचे जमीन, सिंचाई की किल्लत के बावजूद किसानों के चेहरे खिलने वाले हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में एरोबिक राइस का सफल परीक्षण किया जा रहा है. इस बार किसानों के खेतों में इसका प्रत्यक्षण किया जायेगा.
अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान केंद्र मनिला, फिलिपिन्स के साथ विश्वविद्यालय सफल अनुसंधान कर रहा है. सबौर और पूर्णिया में किये जा रहे अनुसंधान से विश्वविद्यालय बीज उत्पादन करने में सफलता पा लिया है.
क्या है एरोबिक राइस
इसे गेहूं की तरह मात्र दो हल्की सिंचाई देकर उत्पादित किया जायेगा. बहुत कम समय 125 से 130 दिनों में साढ़े चार टन प्रति हेक्टेयर पैदावार होगा. विश्व में पहली बार इस प्रकार के प्रभेद को विकसित करने पर पहल किया जा रहा है. धरती में सिर्फ नमी देकर इसे उपजाया जा सकेगा. बीएयू ने इसका 197 पीस जर्मप्लाज्म (जनन द्रव्य) विदेश से मंगाया था, जो अब बीज बन रहा है.
कहते हैं पदाधिकारी
बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ रवि गोपाल ने बताया कि अनुमान है कि पूर्णिया में इस बार 20 किलो बीज उत्पादित होगा, जिससे किसान के एक हेक्टेयर भूमि में प्रत्यक्षण किया जा सकेगा. एरोबिक राइस के वजूद में आने से सिंचाई की समस्या का समाधान ही नहीं कम समय और बेकार पड़े जमीन का उपयोग कर किसान ज्यादा आय प्राप्त कर सकेंगे.