भागलपुर : भागलपुर में अभी तक बड़ी संख्या में लोगों का आधार कार्ड नहीं बन पाया है. इसके बनने की रफ्तार भी धीमी है. दूसरी ओर एक जुलाई से कई सरकारी सेवाओं का लाभ बिना आधार कार्ड के लोग नहीं ले पायेंगे. एक समस्या यह भी है कि जिले में आधार कार्ड बनाने के कई केंद्र हैं. लेकिन केंद्रों पर काफी कम लोग पहुंच रहे हैं. हाल यह है कि पांच वर्ष तक के बच्चों का आधार 28 फीसदी ही बन पाया है. 18 वर्ष तक का आंकड़ा 75.41 फीसदी तक पहुंच सका है.
एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के साथ आधार नंबर विभिन्न सेवाओं के लिए जरूरी होगा.
जिला स्तर पर कई नौनिहाल व युवा भी आधार नंबर से वंचित
आधार को लेकर अभी वर्ष 2015 की जनगणना पर हो रहा काम
यहां हैं आधार पंजीयन केंद्र
जिला में डीआरडीए सभागार, सभी अनुमंडल कार्यालय, प्रखंड कार्यालय, कला केंद्र में वसुधा केंद्र, परामर्श व निबंधन केंद्र में आधार बनाया जाता है. इसके अतिरिक्त निजी तौर पर साइबर कैफे में भी आधार कार्ड के लिए इनरॉलमेंट (पंजीयन) होता है.
सिटी
एक्सपायरी निकले इमरजेंसी के आग बुझानेवाले 43 सिलिंडर
स्मार्ट होने की योजना में शुमार मायागंज के जेएलएनएमसीएच अगलगी की घटना से फुल प्रूफ नहीं है. अगलगी की किसी भी घटना से निबटने का दावा करनेवाले अस्पताल प्रशासन की पोल गुरुवार को खुल गयी. जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के निर्देश पर गुरुवार को जिला अग्निशमन पदाधिकारी शंभू कुमार व रेडक्रॉस सोसाइटी के प्रभारी मनोज कुमार पांडे की संयुक्त टीम अस्पताल का दौरा किया. इसमें अस्पताल की इमरजेंसी में आग बुझानेवाले अधिकतर सिलिंडर एक्सपायरी मिले. आग बुझानेवाले करीब 43 सिलिंडर इस साल की 21 जनवरी को ही एक्सपायर हो गये थे. बावजूद सिलिंडर को बदलने की फुरसत अस्पताल प्रशासन को नहीं है. पांच महीने से एक्सपायर हुए सिलिंडर शोपीस की तरह लटके हुए हैं. जांच कर रही टीम ने सिलिंडर की फोटो ले ली है. टीम अब डीएम सहित जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक व सिविल सर्जन को रिपोर्ट देगी.
जहां शार्ट सर्किट, वहां ऑटो कट नहीं
मायागंज अस्पताल में जांच कर रही टीम ने बिजली के चेंजर रूम की व्यवस्था पर सवाल उठाया है. टीम का कहना है कि यहां पर पहले भी शार्ट सर्किट लगा था, मगर दोबारा नये सिरे से चेंजर आदि लगने पर भी उसमें ऑटो कट की व्यवस्था नहीं की गयी है.
यह चूक सुधारना भी जरूरी जेएलएनएमसीएच में
आग बुझाने के लिए अस्पताल में बीसी सिलिंडर लगे हैं. यह सिलिंडर प्रतिबंधित हो चुका है. इनकी जगह पर सीओ2 या फिर एबीसी सिलेंडर लगना चाहिए.
इमरजेंसी में आग भड़काने वाली चीजें
ऑक्सीजन सिलेंडर
एयर कंडीशनर मशीन
वार्ड से नजदीक अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की मशीनें हैं.
भरती होनेवाले मरीज का आंकड़ा
इमरजेंसी: 40 बेड के वार्ड में हर रोज 80 से 85 मरीज भरती रहते हैं.
सामान्य: 500 बेड वाले अस्पताल में 750 बेड पर मरीज सामान्य तौर पर भरती रहते हैं.
जिलाधिकारी के निर्देश पर अग्निशमन व रेडक्राॅस की टीम ने किया मुआयना
इमरजेंसी वार्ड में आग भड़काने वाले कई पदार्थ, एक चिंगारी से हो जायेगी स्थिति भयावह