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सजा से अधिक रिहाई पर अभियोजकों की बढ़ी चिंता

भागलपुर: कोर्ट में अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत केसों की पैरवी के मामले में अभियोजकों की चिंता बढ़ गयी है. कहीं न कहीं केस की गुणवत्तापूर्ण पैरवी में कमी के कारण कोर्ट से आरोपित को सजा दिलाने की संख्या से अधिक रिहाई की संख्या दर्ज हो रही है. अभियोजक ने आंकड़े में सुधार […]

भागलपुर: कोर्ट में अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत केसों की पैरवी के मामले में अभियोजकों की चिंता बढ़ गयी है. कहीं न कहीं केस की गुणवत्तापूर्ण पैरवी में कमी के कारण कोर्ट से आरोपित को सजा दिलाने की संख्या से अधिक रिहाई की संख्या दर्ज हो रही है. अभियोजक ने आंकड़े में सुधार की दिशा में काम करने के लिए एससी-एसटी के विशेष लोक अभियोजक को कई तरह के दिशा-निर्देश दिये. पिछले दिनों राज्य स्तरीय अभियोजन की बैठक में उक्त मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई.

बैठक में राज्य की रिपोर्ट में भागलपुर में केस की पैरवी का मामला अन्य जिलों से बेहतर रहने पर सराहना की गयी. राज्य के अन्य जिलों की तुलना करें तो भागलपुर में सबसे अधिक 14 आरोपित में से छह को सजा दिलायी गयी, दूसरे नंबर पर पटना में आठ आरोपित में एक की सजा हो सकी. मगर चिंताजनक आंकड़े कोर्ट से रिहाई के आंकड़े को लेकर है. राज्य में सबसे अधिक रिहाई की संख्या बेगूसराय की 41 है, दूसरे नंबर पर भागलपुर में फैसला सुनाये गये 38 मामले में छह को सजा व 32 मामले में रिहाई हुई है.

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