कलगांव : कहलगांव स्थित गंगा नदी में गांग्गेय डाल्फिन व गंगा पार के दियारा के पशु- पक्षियों की तमाम जानकारी एकत्र करने वैज्ञानिकों का एक दल गुरुवार की सुबह कहलगांव तट पर पहुंचा. दल में मुंबई स्थित (गवर्मेंट हिस्ट्री सोसाइटी) व डब्लूडब्लूएफ संस्थान से जुड़े डाॅक्टर श्रेया , गौरी, जयंत कुमार, त्रिवेंद्रम, सुधीर ,उषा व रूपाली आदि शामिल थे.
सर्वप्रथम वैज्ञानिकों की टीम यंत्रचालित नौका से गंगा के मध्य धार अवस्थित तीनों पहाड़ियों के चारों तरफ गांगेय डाल्फिन की खोज व उसकी तसवीर को अपने कैमरे में कैद करने को लेकर घंटों गंगा की धार में घूमते रहे. यह दल गंगा दियारा क्षेत्र के भौगोलिक इतिहास की जानकारी लेने दियारा की भूमि पर उतरे .
दियारावासियों के रहन-सहन, गतिविधियों व इलाके के पेड़ पौधे,विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त की.वैज्ञानिकों का दल गंगा में अठखेली करते जलीय जीव डाल्फिन की गतिविधि से रूबरू हुए. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि बिहार के गंगा दियारा में असीमित प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद यहां के लोगों की दयनीय स्थिति है.
गंगा दियारा इलाके से वापस लौटने के क्रम में गंगा तट पर फैले कचरे व गंगा में गिरते गंदे नाले का पानी, अवशिष्ट पदार्थ को देख कर वैज्ञानिक भड़क उठे और सभी ने एक स्वर में कहा कि इससे तो गंगा जहरीली हो जायेगी और इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा. उन्होंने शहरवासियों से गंगा को साफ-सुथरा व प्रदूषण मुक्त बनाने की अपील की. जनप्रतिनिधियों को इसकी रोकथाम के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाने का आग्रह किया.