गढ़हारा : केशव भाई मिश्र संत विनोबा भावे के सर्वोदय और भूदान आंदोलन में अपनी भूमिका को बखूबी निर्वाह किया. औरंगाबाद ,गया एवं जहानाबाद के सुदूर देहातों में गोदावरी यज्ञ में शामिल होकर भूमिहीनों को जमीन दिलाने में अपनी सराहनीय भूमिका निभायी. इन तीनों जिलों के एक एक गांव का नाम जुबान पर रहता था.
वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर संपूर्ण क्रांति में कूद पड़े और आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. बाद में जन मोरचा गठन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के संपर्क में रहे. जनता दल के गठन के बाद उसके संसदीय बोर्ड के सदस्य भी रहे थे. 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने उन्हें जहानाबाद से उम्मीदवार ही बनाया . लेकिन चुनाव हार गये. जीवन के अंतिम समय में अपने गांव गढहरा आये,और गांव को केंद्र में रखकर उन्होंने गढ़हारा दर्पण के नाम से एक पुस्तक लिखी. जिसके कई समाजशास्त्रियों ने प्रशंसा की.